रक्षाबंधन: रक्षाबंधन का महापर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है। यह पर्व भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। भद्रा काल में किसी भी प्रकार का कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस दौरान किए गए कार्य अशुभ फल देते है।
जानिए कौन है भद्रा :
भद्रा सूर्यदेव तथा देवी छाया की पुत्री और शनिदेव की बहन है, उनका जन्म असुरों के संहार के लिए हुआ था। माना जाता है इनका स्वभाव अपने भाई शनिवेद की ही भांति है। जिस कारण ब्रह्माजी ने उन्हें पंचांग में विष्टि करण के रूप में जगह दी थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण की बहन सूर्पनखा ने भद्रा काल में ही अपने भाई रावण को राखी बांधी थी,जो उसके तथा उसके साम्राज्य के लिए विनाश का कारण सिद्ध हुई।
भद्रा काल में क्या नहीं करना चाहिए:
भद्रा काल में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करना वर्जित रहता है। गृह प्रवेश, बच्चों का मुंडन, व्यापार आरंभ, विवाह, सगाई, नामकरण जैसे शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। ये अशुभ फल देते है। भद्रा के मुख की 5 घाटियाँ होती हैं अर्थात् 2 घंटे त्याग दी जाती हैं। पूंछ वाले हिस्से की 3 घाटियां यानी 1 घंटा 12 मिनट शुभ होती हैं।
2023 का शुभ मुहूर्त कब :
31 अगस्त को सूर्योदय से लेकर सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक राखी का शुभ मुहूर्त रहेगा।यह श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष रक्षा बंधन बुधवार, 30 अगस्त 2023 या 31 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा।