रांची : कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के द्वारा लोकसभा का मानसून सत्र बाधित किए जाने, व व्यवधान उत्पन्न करने को लेकर रांची सांसद संजय सेठ ने अपने केंद्रीय कार्यालय में पत्रकार वार्ता की जिसमें उन्होंने लोकसभा का मानसून सत्र 20 दिनों का इसलिए रखा गया था ताकि देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो सके। कई महत्वपूर्ण बिल विधेयक पास हो सके परंतु कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के द्वारा सदन को बाधित करने का जो कुत्सित कार्य किया गया, यह लोकतंत्र में अक्षम्य अपराध है। भले ही वह सदन से माफी मांग ले लेकिन सदन को बाधित किए जाने के व्यवहार को जनता माफ नहीं करेगी।
चार संसद सदस्यों का निलंबन : विपक्ष के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार, जैसे उन्हें सदन से कोई मतलब ही नहीं इसी तरह भ्रामक और दुष्प्रचार करते रहे। इस वजह से चार संसद सदस्यों को निलंबित भी किया गया, बावजूद इसके इनकी हरकतों में कोई सुधार नहीं हुआ. मणिपुर जैसे मुद्दे को लेकर चर्चा की मांग कर रहे थे, संसद शुरुआत होने के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह ने इस पर चर्चा करने की बात स्वीकार कर ली थी।
क्यों अविश्वास प्रस्ताव : यह कहा था कि जितनी लंबा चाहे चर्चा कर सकते हैं।बावजूद इसके विपक्षी सदस्यों के द्वारा हंगामा जारी रखा गया।गृहमंत्री भी इस मुद्दे पर सदन में अपनी बात रख रहे थे, सभी सदस्यों ने सदन को बाधित किया।यहां तक कि जब अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए।बावजूद आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इनके अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किया।जो अविश्वास प्रस्ताव और फ्लोर टेस्ट विपक्षी दल कर रहे थे, वह फ्लोर टेस्ट मोदी सरकार का नहीं था। वह फ्लोर टेस्ट विपक्ष का था।इस देश के विपक्षियों का यही आचरण है।इन विपक्षियों को न देश,ना मणिपुर , न झारखंड की चिंता है। इन्हें सिर्फ अपनी चिंता है।
संजय सेठ ने राज्य के प्रति चिंता व्यक्त की: सेठ ने कहा कि विपक्षियों के द्वारा तमाम प्रकार के व्यवधान और अमर्यादित आचरण करने के बावजूद इस सत्र में अपने क्षेत्र की बातों को रखा।इसमें सबसे महत्वपूर्ण कैंसर से संबंधित एक मामला सरकार से आग्रह किया की कैंसर को अधिसूचित बीमारियों की श्रेणी में शामिल किया जाए ताकि कैंसर मरीजों की ट्रेकिंग आसान हो जिससे उनका उपचार आसान हो सके।केंद्र सरकार ने झारखंड के विकास के लिए पैसे देने को तैयार है परंतु राज्य सरकार उस पर क्या कर रही है, यह समझ से परे है।
योजनाएं: जल जीवन मिशन के तहत भारत सरकार ने झारखंड को 10000 करोड रुपए दिए मगर सरकार महज 3000 करोड रुपए खर्च कर पाई। साथ ही 70 फ़ीसदी राशि खर्च करने में सरकार विफल रही। शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के पौष्टिक आहार बेहतर स्वास्थ्य हेतु भारत सरकार ने 397 करोड रुपए की राशि राज्य को प्रदान की है। विगत 2 वर्षों में झारखंड में 89 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। जो बहुत बड़ी संख्या है। इन जन औषधि केंद्रों में 50 से 90 फ़ीसदी सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जिन मानकों के तहत ब्रांडेड दवाइयां बनाई जाती हैं। इन दवाओं के उपयोग में कहीं से कोई परेशानी या समस्या नहीं है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिकों को ₹500000 तक की मुफ्त स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया। इसके तहत झारखंड में 721 अस्पताल निबंधित किए गए हैं, जहां आयुष्मान कार्ड के माध्यम से उपचार किया जाता है। इतना ही नहीं कैंसर से संबंधित 593 प्रकार की उपचार प्रक्रिया को इसमें रखा गया है। ताकि देश के आम लोग गरीब नागरिक आराम से अपना उपचार करा सकें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए पीएम कुसुम योजना है, जो किसानों को ऊर्जा और पानी की गारंटी देता है। इसके तहत 36 करोड़ की लागत से झारखंड में 36000 योजनाओं की स्वीकृति दी गई परंतु दुर्भाग्य है किस राज्य में 12000 योजनाओं पर ही काम हो पाया। राज्य सरकार की लापरवाही के कारण योजनाएं अब तक लंबित पड़ी हुई है।