रांची (Ranchi) : हेमंत सरकार एक बार फिर खतियान आधारित स्थानीय नीति, ओबीसी आरक्षण और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक को विधानसभा में पेश करेगी। राज्यपाल ने इन सभी विधेयकों को पहले वापस कर दिया था। लेकिन एक बार फिर सरकार इसे 28 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में पेश करेगी। वहीं वापस किए गए विधेयकों से संबंधित राज्यपाल का संदेश उपलब्ध करान का अनुरोध राज्यपाल सचिवालय से किया है।
राज्य के तत्कालीन राज्यपाल द्वारा ‘‘स्थानीय व्यक्तियों की झारखंड परिभाषा और ऐसे स्थानीय व्यक्तियों को परिणामी, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभ प्रदान करने के लिए विधेयक, 2022’’, भीड़ हिंसा और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक, 2021 एवं पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा 27 प्रतिशत करने संबंधी विधेयक को वापस कर दिया था। इसके बाद राज्य सरकार पुनः इस विषय की गंभीरता को देखते हुए विधेयक को विधानसभा के पटल पर रखने की योजना पर कार्य कर रही है। इसके लिए राज्यपाल सचिवालय द्वारा लौटाये गये उक्त विधेयक को भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 एवं झारखण्ड विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के नियम-98 (1) के तहत राज्यपाल के संदेश के साथ राज्य सरकार एवं विधानसभा को उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध राज्यपाल सचिवालय से किया है।
विधान सभा से पारित किसी भी विधेयक पर राज्यपाल की सहमति हेतु राज्य सरकार द्वारा राज्यपाल सचिवालय को भेजा जाता है। विधेयक पर राज्यपाल की सहमति या असहमति होने पर राज्यपाल द्वारा उक्त विधेयक को लेकर एक संदेश भी संलग्न रहता है, लेकिन वापस किए गए उपरोक्त विधेयक में राज्यपाल सचिवालय द्वारा संदेश संलग्न नहीं किया गया है। राज्य सरकार इन विधेयकों को विधिवत पुनः विधान सभा में लाने हेतु कार्य कर रही है। अतः राज्यपाल सचिवालय से उक्त संदेश को उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है। ताकि सरकार पूरी मजबूती के साथ जनहित के इन विधेयकों को पुनः विधानसभा के पटल पर उपस्थापित कर सके।