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Home » पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में मुख्यमंत्री ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडोत्तोलन किया !

पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में मुख्यमंत्री ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडोत्तोलन किया !

राज्य में बड़े पैमाने पर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों की स्थापना की गयी है .

First Report Live Desk by First Report Live Desk
2 years ago
in पटना, पॉलिटिक्स, बिहार
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पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में मुख्यमंत्री ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडोत्तोलन किया !
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पटना :  पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में परेड की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सलामी लेने के पश्चात् 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडोत्तोलन किया ।इस अवसर पर प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 77वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर मैं समस्त बिहारवासियों को हार्दिक बधाई देता हूँ। आज का दिन हम सभी भारतवासियों के लिए गौरव का दिन है। राष्ट्रभक्तों के साहस, त्याग एवं बलिदान के फलस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश आजाद हुआ।
आज के दिन हम उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी, उनके उच्च आदर्श आज भी हम सबों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। मैं उन वीर जवानों को भी नमन करता हूँ, जो बहादुरी से देश की सरहदों की सुरक्षा कर रहे हैं। उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। देश के थल, जल और नभ की रक्षा करनेवाले भारतीय सेना का हम अभिनन्दन करते हैं। इतिहास इस बात का गवाह है कि बिहार ने स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभायी। बिहार के लोगों ने हमेशा राष्ट्रनिर्माण में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है और देश के लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की है।इस वर्ष जुलाई एवं अगस्त माह के शुरूआती दिनों में कम वर्षा होने के कारण किसानों को धान की खेती में कठिनाई हो रही थी। इसको देखते हुए राज्य सरकार द्वारा किसानों को राहत पहुँचाने का निर्णय लिया गया। इसके अन्तर्गत बिचड़ा एवं फसलों की सिंचाई हेतु 75 रुपये प्रति लीटर डीजल अनुदान दिया जा रहा है। अब तक 96 हजार 808 किसानों को डीजल अनुदान दिया जा चुका है तथा आगे भी सभी इच्छुक लोगों को इसका भुगतान किया जायेगा। सिंचाई के लिए प्रतिदिन 16 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति की जा रही है। कृषि कार्यों के लिए बिजली दर को पहले ही घटाकर 65 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया है जिससे बिजली से सिंचाई करना लगभग 20 गुना सस्ता पड़ता है। जो किसान धान की रोपनी नहीं कर पायेंगे उनके लिए आकस्मिक फसल योजना के तहत कम अवधि की फसलें जैसे मक्का, कुल्थी, उड़द, तोरिया, मटर, भिण्डी आदि के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराने की पूरी तैयारी की जा चुकी है, ताकि किसानों की कुछ न कुछ आमदनी जरूर हो सके। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से वर्षापात होने के कारण अब तक धान का कुल आच्छादन 89.15 प्रतिशत हो गया है, फिर भी जिन जिलों में रोपनी कम हो पाई है वहाँ किसानों को राहत देने के लिए डीजल अनुदान, 16 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति तथा वैकल्पिक फसलों के लिए निःशुल्क बीज की व्यवस्था की जा रही है।जो लोग क्राइम करते हैं, उन पर पुलिस कार्रवाई करे और कोई भी अपराधी बच न पाये। हर थाने के कार्य को दो हिस्सों- केसों का अनुसंधान एवं विधि-व्यवस्था में बांटा गया है। पुलिस बल की संख्या में बढ़ोतरी की गयी है। पुलिस के लिए वाहन एवं अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये गये हैं। उन्होंने कहा कि
आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए डायल – 112 की इमरजेंसी सेवा प्रारंभ की गयी है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति जैसे अपराध की घटना, आग लगने की घटना, वाहन दुर्घटना की स्थिति में या महिला, बच्चों एवं वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित स्थिति में बिहार के किसी भी कोने से कोई भी पीड़ित व्यक्ति 112 नंबर पर निःशुल्क कॉल कर सकता है। सभी कॉल पटना स्थित कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सेंटर में प्राप्त होते हैं और आवश्यकतानुसार पीड़ित व्यक्ति को सहायता उपलब्ध कराने के लिए 15-20 मिनट के अंदर इमरजेंसी रेस्पॉन्स वाहन घटनास्थल पर पहुँच जाते हैं। इस हेतु अब तक पहले चरण में पुलिस बल के साथ 400 डेडीकेटेड वाहन तैनात किये गये हैं जिसके माध्यम से सम्पूर्ण पटना जिले तथा अन्य सभी जिला मुख्यालयों एवं शहरी क्षेत्रों में यह व्यवस्था कार्यरत है। इसके कॉल सेंटर का पूरा संचालन महिला पुलिसकर्मियों के द्वारा किया जाता है। दूसरे चरण में इस व्यवस्था को पूरे राज्य में लागू किया जायेगा जिसकी तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि साईबर अपराधों यथा कम्प्यूटर, मोबाईल फोन, ऑटोमेटेड टेलर मशीन (ए०टी०एम०) एवं क्रेडिट कार्ड आदि के माध्यम से होनेवाले अपराधों से निपटने के लिए प्रत्येक जिले में (रेल पुलिस सहित) कुल 44 साईबर पुलिस थानों का गठन किया गया है। राज्य में साम्प्रदायिक सौहार्द्र का माहौल कायम है। बिहार में साम्प्रदायिक घटनाओं में लगातार कमी आयी है। साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं के प्रकाश में आने पर पुलिस एवं प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा रही है। वर्ष 2006 से ही कब्रिस्तानों की घेराबंदी शुरू की गयी है। पहले चरण में विभिन्न धर्मों की मिली-जुली आबादी वाले क्षेत्रों में स्थित 8,064 संवेदनशील कब्रिस्तानों को घेराबंदी के लिए चिन्हित किया गया था जिनमें लगभग सभी का काम पूरा हो गया है। बाद में वर्ष 2021 में 1209 और कब्रिस्तानों को चिन्हित किया गया जिनकी घेराबंदी का काम किया जा रहा है। इनमें से अब तक 185 का काम पूरा हो गया है तथा 400 निर्माणाधीन हैं। शेष निविदा की प्रक्रिया में है। शेष काम भी शीघ्र पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा वर्ष 2016 से बिहार मंदिर चहारदीवारी निर्माण योजना शुरू की गयी है, क्योंकि मंदिरों में यदा-कदा मूर्ति चोरी आदि की घटनाएं हो जाती हैं। इसके अंतर्गत 60 वर्ष से पुराने धार्मिक न्यास पर्षद् में निबंधित मंदिरों की घेराबंदी की जा रही है, इसमें अब तक 419 मंदिरों की चहारदीवारी की जा चुकी है। पिछले एक वर्ष में 124 मंदिरों की चहारदीवारी की गयी है। अब आवश्यकतानुसार 60 वर्ष से कम समय से स्थापित मंदिरों की चहारदीवारी भी करायी जाएगी। बिहार सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक ध्यान दिया है। शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए 21,291 नये प्राथमिक विद्यालय खोले गये, 19,725 प्राथमिक विद्यालयों को मध्य विद्यालय में उत्क्रमित किया गया 63,871 विद्यालय भवन बनाये गये। प्राथमिक विद्यालयों के पौने तीन लाख से अधिक क्लासरूम का निर्माण किया गया। सभी विद्यालयों में छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय बनाये गये। विद्यार्थियों के लिए पोशाक, साइकिल, छात्रवृत्ति एवं अन्य कई योजनाएँ लागू की गयीं। बालिकाओं की शिक्षा से जनसंख्या के स्थिरीकरण का बिलकुल सीधा संबंध है। इसी को ध्यान में रखते हुए सभी पंचायतों में 10+2 स्कूल स्थापित करने का निर्णय लिया गया। अब अधिकतर पंचायतों में 10+2 स्कूल स्थापित हो गये हैं तथा वहाँ पठन-पाठन प्रारंभ हो गया है। इन विद्यालयों को सुचारू रूप से चलाने के लिए 2 हजार 768 स्कूलों में नये भवन एवं 3 हजार 530 विद्यालयों में अतिरिक्त क्लास रूम आदि के निर्माण हेतु कुल 7 हजार 530 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी गयी है जिनपर काम चल रहा है। वर्तमान में सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की कुल संख्या 4 लाख 39 हजार 496 है जिनमें से कुल सरकारी शिक्षकों की संख्या 59 हजार 720 है तथा  पंचायतों एवं नगर निकायों को मिलाकर कुल नियोजित शिक्षकों की संख्या 3 लाख 79 हजार 776 है। इसके अतिरिक्त, राज्य के विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु सरकारी शिक्षकों के कुल 1 लाख 70 हजार 461 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा की जा रही है। इसमें प्राथमिक विद्यालयों के लिए 79 हजार 943 पद, माध्यमिक विद्यालयों के लिए 32 हजार 916 पद एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए 57 हजार 602 पद शामिल हैं। इन पदों के लिए आवेदन प्राप्त कर लिये गये हैं। परीक्षा भी इस महीने के अंत तक हो जाएगी जिसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग ने परीक्षा की तिथि घोषित कर दी है। इसके अतिरिक्त राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में 40 हजार 518 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा की जा रही है। विद्यालयों के शैक्षणिक वातावरण में लगातार सुधार किया जा रहा है। हम बच्चे-बच्चियों को पढ़ाना चाहते थे तो हमने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से नगर निकायों के द्वारा बहाली हो जाए। 4000 रुपये वेतन से शुरू हुआ और अब 40,000 से भी ऊपर तक वेतन पहुंच गया। इसके बाद कई जगहों पर देखा गया कि सही ढंग से पढ़ाई नहीं हो रही है। हम बच्चे-बच्चियों को सब जगह पढ़ाना चाहते हैं। आज ही के दिन हम कह देते हैं कि पहले बहाली की प्रक्रिया पूरी हो जाने दीजिए, हम सभी शिक्षकों पर ध्यान दे रहे हैं उनके हित में हमलोग काम कर रहे हैं। हमलोग ऐसी व्यवस्था करेंगे कि वे सरकार से जुड़ जाएंगे ये काम हमलोगों के मन में है। हम सबसे आग्रह करते हैं कि पढ़ाइए ठीक से जब पढ़ाएंगे नहीं और गायब रहेंगे तो कार्रवाई होगी। जब अच्छे से पढ़ाइएगा तो हम आगे भी सोच सकते हैं। यह बात हमलोगों के दिमाग में है। आजकल कितने बच्चे-बच्चियां पढ़ रही हैं, कितने अल्पसंख्यकों के बच्चे पढ़ रहे हैं। बच्चियों की पढ़ाई जरूरी है, इससे प्रजनन दर घटता है। पहले बिहार में प्रजनन दर 4.3 था और सर्वे हुआ था जिसमें पता चला कि लड़का-लड़की में लड़की मैट्रिक पास है तो प्रजनन दर देश के विभिन्न हिस्सों में 2 था और बिहार में भी सर्वे करवाए तो अगर लड़की मैट्रिक पास थी तो प्रजनन दर लगभग 2 था। देशभर में अगर लड़की इंटर पास है तो प्रजनन दर 1.7 था और बिहार में सर्वेक्षण हुआ तो 1.6 था। यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। अब लड़कियों को भी इंटर तक पढ़ाएंगे। हमारे बिहार में प्रजनन दर 4.3 था जो घटते घटते पिछले साल ही 2.9 हो गया। अगर इसी तरह सब लड़कियां पढ़ेंगी तो बिहार का प्रजनन दर भी 2 पर आ जाएगा इसीलिए हमलोग शिक्षा पर विशेष जोर दे रहे हैं  वर्ष 2006 से ही बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार पर जोर रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का सुदृढ़ीकरण कर उन्हें सातों दिन चौबीसों घंटे क्रियाशील किया गया। चिकित्सकों की उपस्थिति, मरीजों के लिए एम्बुलेंस की सुविधा, स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त दवा वितरण की सुविधा आदि की शुरूआत की गई। सभी मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पतालों में सुविधाओं को सुदृढ़ किया गया। उन्होंने कहा कि सात निश्चय-2 के तहत फरवरी 2021 से गाँवों के 7,800 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों में टेलीमेडिसिन की व्यवस्था की गई है जिसके माध्यम से मेडिकल कॉलेजों तथा जिला एवं अनुमंडल अस्पतालों के वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा लोगों को चिकित्सा के लिए परामर्श दिया जा रहा है। इससे बुजुर्ग एवं निःशक्त लोगों तथा महिलाओं को सुविधा हुई है। अब तक 75 लाख से अधिक लोगों ने इसका लाभ लिया है। उन्होंने कहा कि हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों के निःशुल्क उपचार हेतु 1 अप्रैल, 2021 से “बाल हृदय योजना” लागू की गयी है। इस योजना में प्रशान्ति फाउंडेशन के सहयोग से गुजरात के अहमदाबाद में अवस्थित सत्यसाईं अस्पताल में ऐसे बच्चों का मुफ्त इलाज किया जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुये राज्य सरकार द्वारा ऐसे बच्चों के इलाज हेतु बच्चों एवं अभिभावकों के आने-जाने एवं रहने का खर्च वहन किया जाता है। इसके तहत 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के साथ एक अभिभावक एवं 6
वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ माँ एवं एक और अभिभावक के लिए 10 हजार रूपये प्रति व्यक्ति की दर से सहायता राशि देने की व्यवस्था है। अब तक अहमदाबाद स्थित सत्यसाई अस्पताल में 703 बच्चों का इलाज हो चुका है। अब ऐसे इलाज की व्यवस्था इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी में कराई गयी है जहां अब तक 161 बच्चों का इलाज किया गया है। साथ ही इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भी इसके इलाज की व्यवस्था की गयी है जहां अब तक 24 बच्चों का इलाज किया गया है। इस प्रकार अब तक कुल 888 बच्चों का इलाज किया जा चुका है। राज्य में बड़े पैमाने पर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों की स्थापना की गयी है। पूर्व में 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल थे। आज सरकारी प्रक्षेत्र में 11 मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कार्यरत हैं तथा 13 नये मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन हैं। 9 प्रमंडलीय मुख्यालयों में केवल सहरसा में मेडिकल कॉलेज नहीं है अतः सहरसा में भी मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जायेगी। इसके अलावे अन्य जिलों में भी मेडिकल कॉलेज की स्थापना का प्रयास जारी रहेगा। हम लोगों का लक्ष्य है कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो। इसके अतिरिक्त पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पी०एम०सी०एच०) को 5462 बेड की क्षमता वाले आधुनिक विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रूप में बनाया जा रहा है। इंदिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ( आई०जी०आई०एम०एस० ) पटना को 2500 बेड के अस्पताल के रूप में, नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एन०एम०सी०एच०), पटना सिटी को 2500 बेड के अस्पताल के रूप में, श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एस०के०एम०सी०एच०), मुजफ्फरपुर को 2500 बेड के अस्पताल के रूप में एवं अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (ए०एन०एम०सी०एच०), गया को 2500 बेड के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त दरभंगा स्थित दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (डी०एम०सी०एच०) के बाद बिहार का दूसरा सबसे पुराना अस्पताल है, का विस्तार कर इसे भी 2500 बेड के अस्पताल के रूप में विकसित किये जाने की स्वीकृति दी गयी है। हमलोगों ने तो दरभंगा में ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की स्थापना के लिये जमीन चिन्हित कर उसकी स्वीकृति भी दे दी थी। यह जमीन एकमी – शोभन बाईपास पर स्थित है जो ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर से लगभग 4 किलोमीटर पर है। यह स्थान समस्तीपुर-दरभंगा मार्ग एवं प्रस्तावित आमस (गया) दरभंगा एक्सप्रेसवे से भी – जुड़ा हुआ है। हमलोग इसको 4 लेन बनाना चाहते हैं जिससे इस स्थान की सम्पर्कता सभी तरफ से बहुत अच्छी हो जाएगी। हमलोगों को केन्द्र सरकार के निर्णय का इंतजार है। हम केंद्र सरकार से फिर एक बार इसके लिए आग्रह करते हैं। उन्होंने कहा कि नालंदा जिले के रहुई के पैठना भागनबिगहा में राजकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय का संचालन 12 दिसंबर, 2022 से शुरू हो गया है। यहाँ 100 बेड का सामान्य अस्पताल भी बनाया जा रहा है जहाँ दाँतों के इलाज के अतिरिक्त अन्य बीमारियों के इलाज की भी व्यवस्था रहेगी। राज्य में आधारभूत संरचना का विकास किया जा रहा है। पटना में दीघा से दीदारगंज तक जे०पी० गंगा पथ का निर्माण किया जा रहा है जिसका कार्यारंभ 11 अक्टूबर, 2013 को किया गया था। 24 जून, 2022 से जे०पी० गंगा पथ के दीघा से पी०एम०सी०एच० तक के भाग को लोगों के लिए शुरू किया जा चुका है। इसे लेकर लोग बहुत उत्साहित हैं और हजारों की संख्या में लोग गंगा पथ को देखने जाते हैं। कल ही यानी 14 अगस्त, 2023 को इसके आगे पी०एम०सी०एच० से महात्मा गांधी सेतु (गायघाट ) तक के हिस्से को भी चालू कर दिया गया है। भविष्य में जे०पी० गंगा पथ को पूरब की ओर
बख्तियारपुर ताजपुर पुल तथा पश्चिम की ओर आरा-छपरा पुल से भी मिलाने की योजना है। महिला सशक्तीकरण एवं महिलाओं के विकास के लिए कई काम किये गये हैं। महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थाओं में वर्ष 2006 से एवं नगर निकायों में वर्ष 2007 से 50 प्रतिशत आरक्षण की शुरूआत की गई। आरक्षण लागू होने के पश्चात अब तक पंचायतों एवं नगर निकायों में चार बार चुनाव हो चुके हैं तथा इनमें काफी संख्या में महिलाएँ प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वर्ष 2013 में पुलिस में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। आज बिहार पुलिस में महिलाओं की कुल संख्या 29 हजार 175 है, इस प्रकार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी पूरे देश में सबसे अधिक है। वर्ष 2016 से महिलाओं को सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। बिहार में स्वयं सहायता समूह काफी कम हुआ करते थे। हमने वर्ष 2006 में विश्व बैंक से कर्ज लेकर राज्य में स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए परियोजना शुरू की जिसका नामकरण हमने “जीविका” किया और इससे जुड़नेवाली महिलाएं जीविका दीदियां कहलाई जीविका के अंतर्गत अब तक 10 लाख 47 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है जिसमें 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक महिलाएँ जुड़ गई हैं। उन्होंने कहा कि समाधान यात्रा के दौरान मैंने जीविका दीदियों द्वारा स्वंय सहायता समूह के माध्यम से किये जा रहे कार्यों को देखा। उस समय मैंने जीविका दीदियों के कामों को और बढ़ाने का निर्णय लिया था। सतत् जीविकोपार्जन योजना के अंतर्गत अत्यंत निर्धन परिवारों को 60 हजार से 1 लाख रूपये तक की आर्थिक मदद दी जा रही है। अब तक कुल 1 लाख 62 हजार 125 लोगों ने इस योजना का लाभ लिया है। इसमें से ताड़ी व्यवसाय से जुड़े परिवारों की संख्या 30 हजार 657 तथा शराब व्यवसाय से जुड़े परिवारों की संख्या 12 हजार 819 है। अब इस राशि की अधिकतम सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रूपये किया जायेगा। इससे शराबबंदी के पूर्व ताड़ी के व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी फायदा होगा। अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा अति पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के लिए वर्ष 2018 से सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना चलायी जा रही है। इसमें बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा की तैयारी हेतु 50 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। अब तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 3,969 अभ्यर्थियों तथा पिछड़े वर्ग के 5,724 अभ्यर्थियों द्वारा इस योजना का लाभ लिया गया है। संघ लोक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा की तैयारी हेतु एक लाख रूपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। अब तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 143 अभ्यर्थियों तथा अति पिछड़े वर्ग के भी 143 अभ्यर्थियों द्वारा इस योजना का लाभ लिया गया है। मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना की शुरूआत वर्ष 2018 में की गयी थी। पहले इस योजना में प्रत्येक पंचायत के लिए 5 वाहनों की खरीद हेतु अधिकतम 1 लाख रु० तक अनुदान दिया जा रहा था जिसमें 03 वाहन अनुसूचित जाति / जनजाति के लिए तथा 02 वाहन अत्यन्त पिछड़ा वर्ग के लाभुकों के लिए अनुमान्य थे। वर्ष 2020 से इस योजना में लाभुकों की संख्या को बढ़ाकर 7 कर दिया गया है। इन 7 वाहनों में 4 वाहन अनुसूचित जाति / जनजाति तथा 3 वाहन अति पिछड़ा वर्ग के लाभुकों के लिए होते हैं। अब तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 24 हजार 821 एवं अति पिछड़ा वर्ग के 18 हजार 285 युवाओं ने इस योजना का लाभ लिया है। अल्पसंख्यक वर्ग के विकास के लिये किये गये काम मदरसों में शैक्षणिक सुधार तथा मूलभूत सुविधाओं एवं आधारभूत संरचना यथा- बिजली, पीने का पानी,शौचालय, अतिरिक्त क्लास रूम, पुस्तकालय आदि के विकास हेतु मदरसा सुदृढ़ीकरण योजना वित्तीय वर्ष 2018-19 से लागू है। बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों के शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों के वेतन को बढ़ाकर अन्य सरकारी स्कूलों के स्तर पर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सुन्नी एवं शिया वक्फ बोर्ड की जमीन पर बहुद्देशीय भवन, मुसाफिरखाना, विवाह भवन, व्यावसायिक भवन, दुकान, मार्केट कॉम्पलेक्स का निर्माण कराया जा रहा है। पटना में सुन्नी वक्फ बोर्ड की जमीन पर पुराने अंजुमन इस्लामिया हॉल को नये सिरे से भव्य इमारत के रूप में बनाया गया है। इसी प्रकार पटना सिटी में शिया वक्फ बोर्ड की जमीन पर भी भवन बनाया जा रहा है। तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए “मुस्लिम परित्यक्ता सहायता योजना” वर्ष 2007 से लागू है। इस योजना में पहले 10 हजार रुपये की राशि दी जाती थी जिसे दिसम्बर 2017 से बढ़ाकर 25 हजार रूपये कर दिया गया है। इस योजना के तहत अब तक 14 हजार 967 महिलाओं को सहायता मिली है।
 सात निश्चय के तहत हर घर तक नल का जल का काम भी काफी हद तक पूरा हो चुका है। इस काम का लगभग 50 प्रतिशत काम ( गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों में आयरन, आर्सेनिक एवं फ्लोराईड) लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा तथा शेष – काम पंचायतों द्वारा किया गया है। अब लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को पंचायतों एवं नगर निकायों द्वारा क्रियान्वित योजनाओं के मेन्टेनेंस की जिम्मेवारी भी दी गयी है। साथ ही पंचायतों की शेष योजनाओं एवं टोलों आदि में बचे हुए कार्य तथा नगर निकायों के बचे हुए कार्य को भी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सात निश्चय -2 के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर स्ट्रीट लाईट लगाने का काम तेजी से चल रहा है। सभी पंचायतों के प्रत्येक वार्ड में औसतन 10-10 सोलर स्ट्रीट लाईट लगाई जा रही हैं। प्रत्येक वार्ड में 10-10 सोलर स्ट्रीट लाईट के अलावा हर पंचायत में 10 अतिरिक्त सोलर लाईट की व्यवस्था की गयी है जिनका उपयोग उस पंचायत के बड़े वार्डों तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों जैसे स्कूल, स्वास्थ्य केन्द्र, पंचायत सरकार भवन आदि के लिए किया जा सकेगा। सोलर स्ट्रीट लाईट से गाँव में रातभर रोशनी मिलती रहेगी। कई वार्डों में सोलर स्ट्रीट लाईट का काम पूरा हो गया है और अगले वर्ष के अंत तक सभी वार्डों में काम पूरा करा दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुँचाने की व्यवस्था की जा रही है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के समग्र विकास हेतु बिहार सरकार द्वारा कृषि रोड मैप बनाकर कई महत्वाकांक्षी कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। पहला कृषि रोडमैप वर्ष 2008 से 2012 तक, दूसरा कृषि रोडमैप वर्ष 2012 से 2017 तक तथा तीसरा कृषि रोडमैप वर्ष 2017 से 2023 (अप्रैल, 2022 से मार्च, 2023 तक एक वर्ष के लिए विस्तारित) तक लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि रोड मैप के फलस्वरूप राज्य में धान, गेहूँ एवं मकई की उत्पादकता पहले के मुकाबले लगभग दोगुनी हो गयी है। साथ ही दूध, अण्डा, माँस एवं मछली उत्पादन में काफी वृद्धि हुयी है। मछली का उत्पादन ढाई गुना से अधिक हो गया है जिससे मछली के उत्पादन में बिहार लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। उन्होंने कहा कि अब अगले 5 वर्षों 2023-28 के लिए चतुर्थ कृषि रोड मैप की शुरूआत की गयी है, जिसमें लगभग 1 लाख 62 हजार 268 करोड़ रूपये की योजनाओं पर 12 विभागों द्वारा मिलकर काम करने का लक्ष्य निर्धारित है। उन्होंने कहा कि चौथे कृषि रोडमैप के द्वारा दलहन एवं तेलहन फसलों के विकास, जलवायु अनुकूल कृषि तथा फसल चक्र में बदलाव, फसल विविधीकरण, जूट फसल के विकास एवं नई तकनीकों के इस्तेमाल पर विशेष बल दिया जा रहा है। युवाओं के लिए सरकारी नौकरी एवं रोजगार सृजन का पूरा प्रयास किया जा रहा है। पिछले स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2022 ) को भी मैंने कहा था कि युवाओं के लिए आने वाले वर्षों में 10 लाख सरकारी नौकरी एवं 10 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने की पूरी कोशिश की जाएगी। सरकारी नौकरियों में नये विभिन्न पदों पर तेजी से बहाली की जा रही है। इसके तहत पिछले दो वर्षों में 1 लाख 50 हजार 563 सरकारी नौकरियाँ दी गई हैं। हाल में 3 लाख 82 हजार 104 नये पदों का सृजन किया गया है। वर्तमान में 2 लाख 86 हजार 461 पदों पर नियुक्तियाँ प्रक्रियाधीन हैं जिन्हें बहुत तेजी से पूरा किया जा रहा है। इन सरकारी नौकरियों के अतिरिक्त 5 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार मिला है। इस काम को आगे भी तेजी से जारी रखते हुये सरकारी नौकरी एवं रोजगार सृजन दोनों के शेष लक्ष्य को अगले वर्ष तक पूरा किया जाएगा राज्य में पौधारोपण एवं हरित आवरण बढ़ाने पर हमारा शुरू से जोर है इसके लिए वर्ष 2012 में हरियाली मिशन की स्थापना कर 24 करोड़ पौधारोपण के लक्ष्य के विरूद्ध वर्ष 2018-19 तक 22 करोड़ पौधे लगाये गये। बाद में पौधारोपण को जल – जीवन – हरियाली अभियान का हिस्सा बनाया गया। अब जल- जीवन – हरियाली अभियान के अंतर्गत पौधारोपण किया जा रहा है। इसके तहत अब तक 10 करोड़ 72 लाख से अधिक पौधारोपण किया गया है। बिहार विभाजन के उपरान्त राज्य में हरित आवरण मात्र 9 प्रतिशत रह गया था, जो वर्ष 2021 में बढ़कर 15 प्रतिशत से अधिक हो गया है। इस काम को तेजी से किया जा रहा है तथा शीघ्र ही 17 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जायेगा। गंगाजल आपूर्ति योजना के अंतर्गत गंगा नदी से 4 महीनों (जुलाई से अक्टूबर) के अधिशेष जल को पाईप लाईन के माध्यम से पेयजल हेतु गया, बोधगया, राजगीर एवं नवादा शहरों में पहुँचाया जाना है। गया, बोधगया एवं राजगीर शहरों में पेय जल हेतु शोधित गंगा जल की आपूर्ति नवम्बर, 2022 से प्रारंभ हो चुकी है। इस वर्ष के अन्त तक नवादा शहर को भी पेयजल हेतु गंगाजल उपलब्ध करा दिया जायेगा। इन शहरों हेतु वर्ष 2051 तक की अनुमानित जनसंख्या के लिए जलापूर्ति की व्यवस्था की जा रही है। पहले इस योजना की लागत 4,175 करोड़ रुपये थी परंतु नवादा शहर की जलापूर्ति योजना के क्रियान्वयन के लिये अतिरिक्त 340 करोड़ की राशि की स्वीकृति दी गयी है। अब इस योजना की कुल लागत 4,515 करोड़ रुपये है। फल्गु नदी पर गयाजी डैम का निर्माण कराया गया है। गया में विष्णुपद मंदिर के पास फल्गु नदी में श्रद्धालुओं द्वारा पितरों के तर्पण के लिए पूरे वर्ष कम से कम 2 फीट की गहराई में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु राज्य सरकार द्वारा 334.38 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर रबर डैम योजना का कार्यान्वयन किया गया है। इसका नामकरण गयाजी डैम किया गया है। उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु नीतियों एवं आधारभूत संरचना में सुधार किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में इथेनॉल पॉलिसी लागू की गयी है जिसका काफी फायदा हुआ है। बिहार एक इथेनॉल हब के रूप में विकसित होगा तथा इथेनॉल प्लांट में कृषि उत्पादों के व्यापक उपयोग से किसानों सहित सभी को भी फायदा होगा परन्तु अभी तक केन्द्र सरकार द्वारा मात्र 17 प्रस्ताव को ही अनुमति दी गयी है। केन्द्र सरकार द्वारा बिहार के लिए इथेनॉल के उत्पादन का कोटा कम आवंटित किये जाने के कारण बिहार को नुकसान हो रहा है क्योंकि इथेनॉल उत्पादन के लिए आवश्यक मक्का का सबसे ज्यादा उत्पादन बिहार में ही होता है। बिहार में अन्य राज्यों की आवश्यकता के लिए भी इथेनॉल उत्पादन की क्षमता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के अंतर्गत राज्य में युवक-युवतियों को रोजगार उपलब्ध कराने तथा उनमें उद्यमिता विकास को प्रोत्साहन देने के लिये मुख्यमंत्री उद्यमी योजना प्रारंभ की गयी। मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना वर्ष 2018 से लागू है। इस योजना में वर्ष 2020 से अति पिछड़े वर्ग को शामिल करते हुये मुख्यमंत्री अति पिछड़ा वर्ग उद्यमी योजना प्रारंभ की गयी। वर्ष 2021 में सात निश्चय -2 के तहत सभी वर्गों की महिलाओं के लिये मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना प्रारंभ की गयी। इन तीनों योजनाओं में उद्यमियों को 10 लाख रूपये तक की सहायता दी जाती है जिसमें 5 लाख रूपये का अनुदान एवं 5 लाख रूपये तक का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2021 में ही सात निश्चय-2 के तहत अन्य वर्गों (सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग) के युवाओं के लिये मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना शुरू की गयी जिसमें 5 लाख रूपये का अनुदान एवं 1 प्रतिशत ब्याज पर 5 लाख रूपये का ऋण दिया जाता है। इन सभी योजनाओं में कुल मिलाकर अब तक 26,679 उद्यमियों को 2 हजार 102 करोड़ रुपये से अधिक की राशि उपलब्ध करायी गयी है। उद्योगों के विकास के लिए सरकार के प्रयासों से हजारों लोगों को रोजगार के नये अवसर मिल रहे हैं। हम लोग चाहते थे कि केन्द्र सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना कराई जाये। इसके लिए सर्वसम्मति से विधान मंडल में प्रस्ताव भी पारित किया गया परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा इसे नहीं माना गया। इसके पश्चात् विधान सभा एवं विधान परिषद के सभी दलों की सहमति से निर्णय लिया गया। राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना करा रही है। जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चलेगा बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी मिलेगी। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिये काम किया जायेगा। जाति आधारित गणना का काम तेजी से चल रहा था परन्तु माननीय उच्च न्यायालय द्वारा इस पर अन्तरिम रोक लगा दी गई थी। पुनः 1 अगस्त, 2023 को माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा जाति आधारित गणना को सही ठहराते हुए रोक को हटा दिया गया है। तत्पश्चात् गणना का काम आगे चल रहा है और अब शीघ्र ही यह काम पूरा हो जाएगा।
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