पटना :जन अधिकार पार्टी प्रदेश के मठ और मंदिरों की जमीन से माफियाओं और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्ति चाहती है। इसके लेकर आज जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद पप्पू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से रामजानकी मंदिर व राज्य धार्मिक न्याय परिषद पशुपतिनाथ न्यास समिति मामले में जल्द हस्तक्षेप करने का आग्रह किया और कहा कि वे पूर्व की कमेटी को न्याय दिलाएं।
पूर्व सांसद पप्पू यादव ने कहा कि पटना के अडरा, विद्यापति रोड स्थित राम जानकी मंदिर जो पशुपति नाथ की स्मृति में संचालित है, जिसे जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण मुक्त कराया गया। वहां समिति के लोग जन सहयोग से वेद विद्यालय भी चलाते हैं, लेकिन आज वहां राजनीतिक रंग देखने को मिल रहा है। पुरानी कमेटी को भंग कर नई कमेटी का गठन कर दिया गया है जिसका कोई औचित्य नहीं है।उन्होंने अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन से सवाल किया कि क्या पूर्व की कमेटी पर कोई आरोप था, अगर आरोप था तो उसे सार्वजनिक करें अन्यथा बाबा पशुपतिनाथ की जिस पीढ़ी ने दर पीढ़ी सेवा की है और जिनकी आस्था रही है उन्हें बने रहने दें। सवाल किया कि जो नई कमेटी बनाई गई है उसमें तीन बिल्डर को क्यों मेंबर बनाया गया है। साथ ही राजनीतिक लोगों को क्यों जोड़ा गया है। सवाल किया कि बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद धारा 32 के तहत संरक्षक पद नहीं है, लेकिन अब इसमें संरक्षक पद का सृजन कर राजनीतिक लोगों को उसमें बैठाया गया है। इनका मनोनयन सवालों को घेरे में है।नई परिपाटी देखने को मिल रही हैमठ-मंदिर के बारे में बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के सलाह पर राज्य में स्थित मठ /मंदिर के भू अभिलेख को महंथ अथवा ठाकुरवाड़ी के नाम को हटाकर भगवान के नाम पर किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में न्याय समिति में जिनका श्री राम जानकी मंदिर से कोई सरोकार नहीं रहा हो उन्हें नामित करना बिल्कुल अविवेकपूर्ण निर्णय है।यह भी ज्ञातव्य है कि कमेटी के पूर्व कमेटी 29.12.2021 के लोगों ने मनोयोग से मठ और वेद विद्यालय का संचालन किया। ना उनके बीच कोई आपसी विवाद रहा। तो फिर इस कमेटी का अवधि विस्तार नहीं करना बिल्कुल न्याय संगत नहीं है।एक ही दिन तीन पत्र जारी पशुपतिनाथ न्यास पर आगे कहा कि जो व्यवस्था बदल नहीं रही है उसे आज बदला जा रहा है। 25-8-2023 को एसडीओ, सीईओ और जिला पदाधिकारी द्वारा पत्र जारी कर नहीं कमेटी लिए पुरानी कमेटी को सरासर नकार देना और पुरानी कमेटी को विस्तर तक नहीं देना कई सवाल खड़े करते हैं।