नई दिल्ली के कर्नाटक भवन में 8 आठ राज्यों झारखण्ड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडू, तेलंगाना एवं पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री वाणिज्य कर मंत्री राजस्व मंत्री की बैठक आहूत की गयी।इस बैठक का उद्देश्य आगामी जी.एस.टी परिषद् द्वारा-03.09.2025 एवं 04.09.2025 को आहूत बैठक में प्रस्तावित GST Rate Rationalisation के प्रस्ताव पर संयुक्त रुप से विचार-विमर्श किया गया।केन्द्र सरकार का प्रस्ताव है कि GST दरों के चार Slab यथा- 5%, 12%, 18%, एवं 28% को युक्ति संगत बनाते हुए 12% एवं 28% के Slab को समाप्त किया जाय। जिन मालों एवं सेवाओं के कर की दरों को घटाने का प्रस्ताव है उसके फलस्वरूप आशा है कि सामग्रियों के मूल्य घटने के कारण जन मानस पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा साथ ही देश की अर्थव्यस्था सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाएगा। परंतु वर्तमान में जी. एस. टी परिषद् द्वारा जो Rate Rationalisation का प्रस्ताव लाया गया है उस निर्णय से राज्यों के उपर पडने वाले वित्तीय भार का आकलन नहीं किया गया है।उल्लेखनीय है कि 1, जुलाई, 2017 के पूर्व देश में Direct Tax Reforms के तहत GST की शुरुआत की गयी, जो मूल रुप में Destination Based Tax है। जी.एस.टी कर प्रणाली के अन्तर्गत माल और सेवाओं के उपभोग (Consumption) के आधार पर राज्यों को GST कर प्राप्त होता है।झारखण्ड एक छोटा विनिर्माता राज्य (Manufacturing State) है। माल और सेवा कर प्रणाली के क्रियान्वयन से इसके आंतरिक राजस्व संग्रहण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। झारखण्ड कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साईट इत्यादि के खनन में अग्रणी है। राज्य में उत्पादित औद्योगिक उत्पाद एवं खनिजों को अधिकांशतः अन्तर्राज्यीय आपूर्ति होता है। वैट अवधि में अन्तर्राज्यीय आपूर्ति पर राज्य को सी.एस.टी. के रुप में राजस्व संग्रहण की प्राप्ति होती थी। परंतु GST के संरचनात्मक परिवर्तन के कारण अन्तर्राज्यीय आपूर्ति पर राजस्व की प्राप्ति शून्य हो गयी है।01.07.2017 से देश में माल और सेवा कर प्रणाली क्रियान्वित की गयी जिसके पश्चात् अगले 05 वर्षों तक केन्द्र सरकार द्वारा राज्य को 14 प्रतिशत Protected Revenue के अनुसार Compensation का भुगतान किया जाना था। Protected Revenue के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2022-23 (जून, 2022 तक) तक केन्द्र सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाता रहा है।प्रस्तावित एजेंडा में GST Rate Rationalisation से राजस्व पर पड़ने वाले वित्तीय भार का आकलन नहीं किया गया। राजस्व में होने वाली कमी से राज्यों के राजस्व संरक्षण की कोई व्यवस्था प्रस्तावित नहीं की गयी।झारखण्ड राज्य का मन्तव्य है कि प्रस्तावित एजेंडा पर इस शर्त के साथ सहमति दी जा सकती है कि GST की दरों में बदलाव के कारण राज्यों को होने वाले राजस्व क्षति की भरपाई GST Compensation से किया जाय। अनुमानित आकलन के अनुसार झारखण्ड राज्य को लगभग 2000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष राजस्व की प्राप्ति नहीं हो सकेगी।इसी परिप्रेक्ष्य पर आज दिनांक 29 अगस्त, 2025 को 8 (आठ) राज्यों के द्वारा संयुक्त रुप से विचार-विमर्श के उपरांत सहमति बनी कि प्रस्तावित GST Rate Rationalisation पर एक Joint Memorandum जी. एस. टी. परिषद को समर्पित किया जायेगा, जिसमें मूल रुप से राज्यों के राजस्व संरक्षण के विषय को ध्यान में रखते हुए Compensation की व्यवस्था स्थापित करते हुए इसे लागू करने का सुझाव भारत सरकार को समर्पित किया जा रहा है।वस्तु और सेवा कर (जी.एस.टी) केंद्र और राज्यों के बीच एक साझा राजकोषीय ढाँचा है. जो सर्वसम्मति और Cooperative Federalism के सिद्धांत पर आधारित है। दरों का सरलीकरण और युक्तिकरण (Simplification and Rationalisation) वांछनीय उद्देश्य हैं, लेकिन इन्हें राज्यों की राजकोषीय स्थिरता (fiscal stability of States) की कीमत पर नहीं अपनाया जाना चाहिए। यदि वर्तमान प्रस्ताव को बिना किसी Compensation के लागू किया जाता है, तो इससे राज्यों के राजस्व को भारी नुकसान होगा, राजकोषीय असंतुलन बढ़ेगा और इसलिए यह वर्तमान स्वरूप में अस्वीकार्य है।इसलिए, राज्यों की यह सुविचारित अनुशंसा है कि दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए एक मजबूत राजस्व संरक्षण ढाँचा, Sin और Luxury की वस्तुओं पर एक पूरक शुल्क, और कम से कम पाँच वर्षों के लिए एक गारंटीकृत Compensation की व्यवस्था होनी चाहिए। केवल ऐसा संतुलित दृष्टिकोण ही राज्यों की राजकोषीय स्वायत्तता की रक्षा करेगा और साथ ही Cooperative Federalism की सच्ची भावना के साथ जीएसटी सुधार के उद्देश्यों को आगे बढ़ाएगा।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में झारखंड ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की बैठक !
रांची : मुख्य सचिव अलका तिवारी ने सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए ट्रांसजेंडरों का राज्यव्यापी सर्वें कराने का...