रांची :झारखंड मंत्रालय में आयोजित अभिनंदन समारोह में मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के लिए चयनित 25 प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित करते हुए ये बातें कही। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सीएम फैलोशिप प्रोग्राम शुरू करने की घोषणा की। इस प्रोग्राम तहत दुनिया के 100 विश्वविद्यालयों में झारखंड के स्कॉलर्स को एमफिल और पीएचडी जैसे कोर्सेज के लिए वित्तीय सहायता सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी।
शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने की मुहिम जारी
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के आदिवासियों- मूल वासियों में हुनर की कोई कमी नहीं है। लेकिन, उचित प्लेटफार्म नहीं मिलने से इनकी प्रतिभा गुम हो जाती थी । जब हमारी सरकार बनी तो हमने इसकी वजहों को जानने का प्रयास किया। इस क्रम में पता चला कि यहां की शिक्षा व्यवस्था एक ताश के पत्ते की तरह है , जो कभी भी धारासायी हो सकती है । यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन, हमने इसे स्वीकार किया। शिक्षा के क्षेत्र में रिफॉर्म का सिलसिला शुरू किया। पहले चरण में 80 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस खोले गए हैं। मॉडल स्कूल बनाये जा रहे हैं। स्कूलों को संसाधन उपलब्ध कराया जा रहा है । इसका नतीजा कि आज सरकारी विद्यालयों में बच्चों को बेहतर गुणवत्ता की शिक्षा मिल रही है।
बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेवारी सरकार ने ले रखी है
शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार कई योजनाएं चल रही है। हमारा प्रयास है कि बच्चे सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। उनके पठन-पाठन का सारा खर्च सरकार वहन करेगी। आज बच्चों की प्राइमरी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक का खर्च सरकार दे रही है। इतना ही नहीं, यूपीएससी, जेपीएससी, बैंक रेलवे जैसी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी और इंजीनियरिंग मेडिकल और लॉ जैसे कोर्सेज करने का खर्च सरकार दे रही है। बच्चों से कहना है कि वे पढ़ लिख कर एक अच्छा मुकाम हासिल करें ।उनके मुकाम हासिल होने से झारखंड भी गौरवान्वित महसूस करेगा।
प्रतिभावान बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक तंगी नहीं बनेगी बाधा
हैप्रतिभावान बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक तंगी बाधा नहीं बने, इसका सरकार ने संकल्प ले रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज चाहे झारखंड बोर्ड हो या सीबीएसई अथवा आईसीएसई बोर्ड। इसके टॉपर्स को नगद राशि के साथ लैपटॉप सरकार दे रही है। इसके अलावा छात्रवृत्ति की राशि बढ़ा दी गई है । हमारी बच्चियों की पढ़ाई बाधित नहीं हो, इसके लिए सावित्रीबाई फुले सावित्री योजना चलाई जा रही है।
हर क्षेत्र को बेहतर और मजबूत बनाने के लिए हो रहा काम
यह बहुत अचरज की बात है कि देश का 42 प्रतिशत खनिज संसाधन झारखंड में उपलब्ध है । लेकिन, फिर भी यह देश के सबसे पिछड़े राज्यों में गिना जाता है। इतना ही नहीं प्रकृति ने झारखंड को धरा के अंदर और बाहर से सजाया- संवारा है। फिर भी यहां के लोग गरीब और पिछड़े हैं । आखिर ऐसा क्यों ? दरअसल झारखंड को शुरू से ही उपेक्षित करने का प्रयास किया जाता रहा , जिसका परिणाम यहां के आदिवासी और मूलवासी को भुगतना पड़ रहा है।लेकिन, हमारी सरकार इससे निपटने की पूरी रणनीति तैयार कर आगे बढ़ रही है। उन चीजों को चिन्हित किया जा रहा है, जिस वजह से झारखंड आगे नहीं बढ़ सका। शिक्षा की बेहतरी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं । रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। सामाजिक सुरक्षा को प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है । हमें पूरा विश्वास है कि वह दिन दूर नहीं जब झारखंड की पहचान एक विशेष राज्य के रूप में पूरे देश -दुनिया में होगी ।