पटना: जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद पप्पू यादव ने उत्तरी मंदिरी स्थित आवास पर पप्पू यादव ने कटिहार गोलीकांड पर पुलिस-प्रशासन के उस दावे पर गंभीर सवाल उठाये हैं, जिसमें पुलिस-प्रशासन ने कहा है कि पुलिस की गोली से मौत नहीं हुई है,गोलीकांड की न्यायिक जांच की मांग की है। अगर जांच नहीं हुई नो उसके लिए पटना हाईकोर्ट भी जायेंगे।
सुप्रीमो पप्पू यादव ने कहा कि कटिहार के बारसोई की घटना पर कहा कि आम लोगों ने जब पहले से अल्टीमेटम दिया था। वहीँ जनप्रतिनिधियों के द्वारा भी सूचना दी गई थी तो भारी मात्रा में फोर्स तैनात क्यों नहीं की गयी। क्या अब बिजली के लिए प्रदर्शन के दौरान अब गोली चलेगी? लोगों के सीने में गोली मारा। कमर के नीचे गोली नहीं मार सकते थे क्या? आंसू गैस नहीं छोड़े जा सकते थे?वहीं, उन्होंने कहा कि कटिहार जिला प्रशासन द्वारा जारी फुटेज में पता नहीं चल रहा शख्स के पास रिवाल्वर है, फिर वह कैसे किसी को मारकर भाग गया। पप्पू यादव ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान न किसी के पास लाठी थी ना ही रिवाल्वर। वहीं, उन्होंने कहा कि बिना लाठीचार्ज, बिना आंसू गैस के गोले छोड़े क्यों गोली चलायी गयी? पप्पू यादव ने कहा की प्रशासन को सुव्यवस्थित तरीके से वार्ता करना चाहिए था। कटिहार गोलीकांड में महाठबंधन सरकार की कोई भूमिका नहीं है। कटिहार जिला प्रशासन ने सरकार को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोडा है। सरकार से ये मांग करता हूं कि पूरे मामले को लेकर सरकार न्यायिक जांच कराये। सरकार के सहयोगी पार्टी माले ने भी न्यायिक जांच की मांग की है। वहीं, उन्होंने कहा कि अगर कटिहार एसपी के दावे को सही मान लू तो क्या कटिहार प्रशासन इसकी न्यायिक जांच करायेगी। क्या मृतक के परिजनों को सरकार को 50-50 लाख रुपए देगी। इसके अलावा मृतक के परिजनों को सरकारी नौकरी मिलेगी?
जो पदाधिकारी इसमें इन्वाल्व है। उनस सभी सस्पेंड करते हुए 302 का मुकदमा भी चलाया जाय। वहीं स्मार्ट मीटर पर बोलते हुए कहा कि एनजीओ के द्वारा काम किया जा रहा है। यह आम आदमी पर बोझ है। वाउचर भरिये और तुरंत खत्म हो जाता है। राज्य में बेटियों और महिलाओं के खिलाफ लगातार अपराध बढ़ रहा है। जिसके को लेकर पप्पू यादव ने राज्य सरकार से एफटीएफ के तर्ज विशेष बल का गठन किया जाये। इसके अलावा संप्रदायिक हिंसा को लेकर कार्रवाई मामले में भी एक विशेष बल का भी बनाया जाये। महिलाओं और सांप्रदायिक हिंसा के केस को तीन महीने में त्वरित सुनवाई उसका निष्पादान किया जाये। वहीं जिस जिले में पुलिस अधीक्षक तीन के भीतर महिला हिंसा और सांप्रदायिक हिंसा के केस को तीन महीने में त्वरित न्यायिक प्रकिया सुनिश्चित नहीं करा पाते हैं उन्हें 5 साल तक जिले में एसपी की पोस्टिंग नहीं दी जायें ।