नई दिल्ली :बिहार के औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद सुशील कुमार सिंह लोकसभा के नए संसद भवन में चल रहे विशेष सत्र में सभापति को धन्यवाद और आभार प्रकट करते हुए संबोधन में कहा कि आपने लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर एवं ऐतिहासिक और आधुनिक भवन में चंद्रयान-3 पर होने वाली चर्चा में हिस्सा लेने के लिए अनुमति दिया है।मैं काफी देर से पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बातों को सुन रहा था।यह बहस और विवाद का विषय नहीं है कि इसकी सफलता का श्रेय हमारे वैज्ञानिकों को जाता है।इसके लिए मैं पूरी इसरो के टीम को अपने और देशवासियों के तरफ से हृदय से आभार प्रकट और धन्यवाद देना चाहूंगा .
गौरतलब है की सदस्य लोग वैज्ञानिको को धन्यवाद दे रहे थे वहीं देश के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व को इस बात के लिए कटघरे में खड़े कर रहे थे और पुरानी बातों को दोहरा रहे थे मैं यह कह रहा हुँ कि कोई भी अनुसंधान या रिसर्च वैज्ञानिक ही करते और आगे भी वही करेंगे लेकिन उनको जो अनुसंधान करने के लिए साधन,संसाधन,सपोर्ट,बजट,धन और नैतिक समर्थन चाहिए वह तो वहीं राजनीतिक नेतृत्व देगा जो वर्तमान में देश का नेतृत्व कर रहा है।देश के वैज्ञानिकों ने अनुसंधान करके अणु बम तैयार कर लिया लेकिन विदेशी शक्तियों के दबाव में दुनिया की ताकतवर देश के भय से उसका परीक्षण करने की हिम्मत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई सरकार के पहले कोई नहीं कर रहा था अटल जी ने यह हिम्मत दिखाई और पोखरण का सफल परीक्षण हुआ मैं उन सदस्यों से पूछना चाहता हुँ कि आप क्रेडिट किसको देंगे। दुनिया का इतिहास है कि हर 100 साल के अंतराल में कोई ना कोई महामारी किसी न किसी रूप में आती है और 2020 में ठीक उसी प्रकार से कोविड की महामारी आई।पहले का इतिहास यही है जब कोई महामारी इस देश के अंदर आए तब उसे महामारी के लगभग 20-25 साल के बाद उस महामारी के बचाव के लिए टीके आए लेकिन विदेशों से आए।इस बार जब 2020 में कोविड की महामारी आई तो एक साल के अंदर देश के वैज्ञानिकों ने दो-दो टीको का निर्माण अपने अनुसंधान और ताकत के बल पर किया।मैं पूछना चाहता हुँ सदस्यों से इसका क्रेडिट आप किसको देंगे।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रयोगशाला में जाकर वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाते हैं।सफलता पर उन्हें गले मिलते हैं क्यों नहीं उनका उत्साह बढ़ेगा और देश के लिए दुगने नहीं 100 गुणा उत्साह के साथ कार्य करेंगे।एक तरफ जहाँ भारत का लोहा पूरी दुनिया मान रही है और भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है चाहे वह चंद्रयान-3 का सफलता हो या G-20 की सफलता हो हमारे वैज्ञानिकों को मोरल और राजनीतिक समर्थन उनको मिलना चाहिए उसी के आधार पर यह सफलता मिली है।