नई दिल्ली / रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित वामपंथ उग्रवाद की समीक्षा बैठक में शामिल हुए।नक्सल विरोधी अभियान में राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के बीच बेहतर समन्वय हमेशा बना रहेगा और पूरी उम्मीद है कि हम मिलकर उग्रवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई जीतेंगे। केंद्र तथा राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से उग्रवादी संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई में अच्छी सफलता पाई है।
आज नई दिल्ली में माननीय गृह मंत्री आदरणीय श्री @AmitShah जी की अध्यक्षता में आयोजित Left Wing Extremism को लेकर हुई समीक्षा बैठक में शामिल हुआ हूँ। pic.twitter.com/gn1jXf9jDk
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) October 6, 2023
मुख्यमंत्री ने कहा कि उग्रवाद को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार एक बहुआयामी कार्य योजना के तहत कार्य कर रही है । वामपंथी उग्रवादी संगठनों के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं। इस अभियान में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के साथ झारखंड जगुआर और एसएटी जैसे विशेष दल का का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। शीर्ष वामपंथी नक्सली नेताओं को चिन्हित कर उनके विरुद्ध संयुक्त रूप से विशेष अभियान चलाया जा रहा है। झारखंड में बूढ़ा पहाड़ जैसे दुर्गम स्थान को नक्सलियों में अपना आश्रय स्थल बना रखा था। लेकिन, केंद्र सरकार के सहयोग से इस क्षेत्र को नक्सलियों से मुक्त कर लिया गया है। 12 अक्टूबर 2022 को जिला प्रशासन के द्वारा यहां ,आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार, कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वहीं, 27 जनवरी 2023 को मैं स्वयं बूढ़ा पहाड़ जाकर वहां के लोगों से बातचीत की। इस दौरान गहन सर्वेक्षण कराकर इस क्षेत्र की 6 पंचायत के विकास के लिए कार्य योजना तैयार की गई है। इस योजना को लागू करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना की ओर भी केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया । उन्होंने कहा कि झारखंड में अभी भी लगभग 8 लाख सुयोग्य लाभुक इस योजना के लाभ से वंचित है। परंतु केंद्र सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्य सरकार के बार-बार अनुरोध के बाद भी कोई सकारात्मक निर्णय इस संबंध में नहीं ले रहा है। आपसे अनुरोध है कि झारखंड के इन आठ लाख योग्य लाभुकों लाभों को को उनका हक दिलाया जाए। एसआरई योजना से बीमा मद को हटा लिया गया है। सुरक्षा बलों के मनोबल को बनाए रखने के लिए पूर्व की भांति एसआरई मद में बीमा राशि की प्रतिपूर्ति को जारी रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि झारखंड के कोडरमा, रामगढ़ और सिमडेगा जिला को एसआरई जिला की सूची से हटाया गया है ।लेकिन, इन जिलों में प्रतिनियुक्त केंद्रीय सैनिक बलों के ऊपर किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति एसआरई योजना से करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार के एसआरई गाइडलाइन के अनुसार भूतपूर्व सैनिकों/ भूतपूर्व पुलिस कर्मियों को ही एसपीओ के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। सुरक्षा कारणों से भूतपूर्व सैनिकों / भूतपूर्व पुलिस कर्मियों द्वारा एसपीओ नियुक्ति में रुचि नहीं ली जा रही है । ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों को एसपीओ के रूप में नियुक्त करने हेतु अनुमति की आवश्यकता है। DMFT की राशि खर्च करने के निमित्त भारत सरकार मार्गनिर्देशिका में परिवर्तन करने जा रही है। जिससे झारखण्ड को व्यावहारिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरणस्वरूप नए प्रस्तावित मार्गनिर्देश के अनुसार किसी भी खनन क्षेत्र के मात्र 15 किलोमीटर की परिधि में ही राशि व्यय किया जा सकता है ,जो झारखण्ड जैसे जंगलों एवं पहाड़ों से आच्छादित राज्य के लिए संभव नहीं है। आपसे अनुरोध है कि खनन मंत्रालय को झारखण्ड सरकार की आपत्ति को संज्ञान में लेते में किसी भी प्रकार के परिवर्तन नहीं करने का निर्देश निर्गत करें। हुए मार्गनिर्देशिका मैं किसी भी प्रकार के परिवर्तन नहीं करने का निर्देश निर्गत करेंझारखंड में विकास के निमित बैंकों का अपेक्षित सहयोग भी प्राप्त नहीं हो रहा है, जो राज्य के सीडी रेश्यो 45% होने से परिलक्षित होता है। जबकि, राष्ट्रीय औसत करीब 67 प्रतिशत है। बैंकों के इस असहयोगात्मक रूप से लाखों करोड रुपए के निवेश के लाभ से वंचित हो रही है। इसके विपरीत, राज्य के अनुसूचित जनजाति समुदाय के अभ्यर्थियों को छोटे-छोटे ऋण की सुविधा भी बैंक के द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। मेरा अनुरोध है कि सभी बैंकों को राज्य के अपेक्षित सहयोग प्रदान करने का निर्देश करें, जिससे कि उग्रवाद की समस्या पुनः यहां नहीं पनप सके। केंद्र सरकार के आदिवासी कल्याण मंत्रालय के द्वारा झारखंड में अब तक 91 एकलव्य मॉडल रेसीडेंशियल स्कूल स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 28 का निर्माण राज्य सरकार को करना था, जिसके विरुद्ध 21 का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है । 7 विद्यालय का संचालन भी हो रहा है। शेष 14 को इसी वित्तीय वर्ष में चालू करने की योजना है। 68 का निर्माण कार्य भारत सरकार की एजेंसी द्वारा किया जा रहा है। इस संबंध में मैं यह कहना चाहूंगा कि इन ईएमआरएस विद्यालयों की स्थापना उन्हीं प्रखण्डों में हो सकती हैं, जहाँ आदिवासियों की संख्या 50% से अधिक है, बशर्ते न्यूनतम जनसंख्या 20 हजार होनी चाहिए। हमारे राज्य में OSP क्षेत्र में 29 तथा TSP क्षेत्र में 32, अर्थात् कुल 61 ऐसे प्रखण्ड हैं, जहाँ आदिवासियों की संख्या 20 हजार से अधिक है, परन्तु वे 50% की शर्त का पालन नहीं करते हैं। कुछ प्रखण्डों में यह जनसंख्या 50 हजार से भी अधिक है। मेरा अनुरोध होगा कि EMRS की स्वीकृति हेतु निर्धारित मापदण्ड में 50% की शर्त को समाप्त किया जाय, ताकि आदिवासी बहुल्य ग्रामीण क्षेत्रों को इस योजना का लाभ मिल सके। झारखण्ड राज्य में उग्रवाद की समस्या में काफी कमी आयी है, परन्तु इसकी पुनरावृत्ति न हो इसके लिए राज्य में केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति जारी रखने की आवश्यकता है। साथ ही अनुरोध होगा कि राज्य में प्रतिनियुक्त IG, CRPF का कार्यकाल कम से कम तीन वर्ष रखा जाय ताकि नक्सल निरोधी अभियान में continuity बनी रहे ।उग्रवाद की समस्या की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए आवश्यक है कि इन क्षेत्रों में विकासोन्मुखी योजनाएँ व्यापक पैमाने पर चलायी जाए जिसके लिए राज्य को संसाधन की आवश्यकता पड़ेगी। इस संदर्भ में आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहूँगा कि राज्य सरकार का भारत सरकार के खनन कंपनियों पर करीब एक लाख छत्तीस हजार करोड़ रूपये बकाया है जिसे उनके द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। आपसे आग्रह है कि खनन मंत्रालय को यथाशीघ्र इस बकाया का भुगतान करने का निर्देश निर्गत करें। केंद्र तथा राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से जनवरी 2022 से अगस्त 2023 तक कुल 762 नक्सलियों को गिरफ्तार किया किया गया है। इनमे स्पेशल एरिया कमेटी के 3 सदस्य, रिजनल कमेटी के 1 सदस्य, 10 जोनल कमांडर, 16 सब जोनल कमांडर और 25 एरिया कमांडर शामिल हैं। इसके अलावा 20 नक्सली पुलिस मुठभेड़ में मारे गए हैं जिनमें स्पेशल एरिया कमेटी का दो, 4 सब जोनल कमांडर और एक एरिया कमांडर शामिल है। इसके अलावा 1160 आईडी और 76 हथियार भी बरामद किए गए हैं । इस अवधि में 37 नक्सलियों में पुलिस के समक्ष समर्पण किया है जिन में स्पेशल एरिया कमेटी का एक, रीजनल कमेटी का तीन, 4 जोनल कमांडर, 9 सब जोनल कमांडर और 10 एरिया कमांडर शामिल है।नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम के तहत दुर्गम क्षेत्रों के ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित कर उनका विश्वास जीतने का प्रयास किया जा रहा है। Psy- Ops के तहत वामपंथी उग्रवादियों के असली चेहरे को जनता के समक्ष उजागर किया जा रहा है। उग्रवादी संगठनों के विरूद्ध चलाये जा रहे इस बहुआयामी अभियान में झारखण्ड राज्य को अप्रत्याशित सफलता मिली है। नक्सली संगठनों के प्रभाव क्षेत्र में लगातार कमी हो रही है एवं अब उनका दायरा राज्य के कुछेक क्षेत्रों में सिमट कर रह गया है। नक्सल विरोधी अभियान में समय-समय पर हेलीकॉप्टर का भी प्रयोग किया जाता है, जिसके खर्च का वहन SRE मद से किया जाता था। गृह मंत्रालय द्वारा 2018-2022 तक की अवधि के खर्च की प्रतिपूर्ति में आपत्ति दर्ज की गयी है। अनुरोध होगा कि इस राशि का भुगतान SRE मद से किया जाय तथा गृह मंत्रालय, भारत सरकार की अधिकार प्राप्त समिति से पूर्व अनुमोदन की अनिवार्यता को समाप्त किया जाय । नक्सल प्रभावित जिलों में connectivity का सुधार करना भी आवश्यक है। इसके लिए भारत सरकार द्वारा सड़कों के निर्माण के लिए RRP तथा RCPLWEA नामक योजनाएँ चालू की गयी हैं। इसके तहत् स्वीकृत योजनाओं को ससमय पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। नक्सल प्रभावित चाईबासा जिला में DMFT की राशि से बड़ी संख्या में सड़क निर्माण की कार्य योजना तैयार की जा रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रथम चरण में 816 अधिष्ठापित मोबाईल टावर के 4G upgradation का कार्य BSNL द्वारा किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार TCS से equipment प्राप्त नहीं होने के कारण यह कार्य अवरूद्ध है । द्वितीय चरण में 1184 स्थानों के विरूद्ध राज्य सरकार ने 1173 स्थानों पर भूमि उपलब्ध करा दी है। शेष 11 स्थानों पर भी शीघ्र भूमि उपलब्ध करा दी जायेगी। टावर निर्माण का कार्य BSNL द्वारा किया जा रहा है। राज्य सरकार के द्वारा केन्द्रीय एजेन्सियों यथा- NIA एवं NCB के साथ समन्वय बनाकर नक्सली संगठनों के आय के स्रोत पर रोक लगाने के लिए लगातार प्रभावी ढंग से कार्रवाई की जा रही है। राज्य पुलिस के द्वारा कुल 28 नक्सली नेताओं की चल-अचल सम्पत्ति को जप्त किया गया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध मादक पदार्थ यथा – अफीम की खेती / तस्करी की रोकथाम हेतु एन०सी०बी० के सहयोग से प्रभावकारी कदम उठाये गये हैं। इस वर्ष लगभग 5,500 एकड़ भूमि से अफीम की खेती नष्ट की गयी है। लेवी के स्रोत यथा – खनन, केन्दू पत्ता, विकास कार्यों पर पैनी नजर रखी जा रही है। संदिग्ध गतिविधि वाले संवेदकों पर भी नजर रखी जा रही है। उग्रवादी घटनाओं से संबंधित काण्डों के अनुसंधान एवं अभियोजन को बेहतर बनाने के लिए सभी जिलों में Special Monitoring Cell का गठन किया गया है। राज्य में 2014 से UAPA के तहत दर्ज कुल 599 उग्रवाद कांडों में से 426 में अनुसंधान का कार्य पूर्ण कर आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है। 21 संवेदनशील कांडों का अनुसंधान NIA को सौंपा गया है। फरार नक्सलियों की गिरफ्तारी हेतु 01 लाख रूपये से लेकर 01 करोड़ रूपये तक की आकर्षक पुरस्कार राशि की घोषणा की गयी है। वर्तमान में 91 फिरार नक्सलियों केविरूद्ध पुरस्कार घोषित है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2022 में 90 एवं वर्ष 2023 में अगस्त तक कुल 97 नक्सली हिंसा की घटनाएँ प्रतिवेदित हुई हैं। नक्सलियों के विरूद्ध प्रभावकारी अभियान के कारण वर्ष 2021 से थाना/पिकेट/पोस्ट पर नक्सलियों द्वारा आक्रमण की कोई घटना प्रतिवेदित नहीं हुई है। जमशेदपुर, दुमका देवघर, जामताड़ा, गोड्डा, पाकुड़ एवं साहेबगंज में जनवरी 2022 से अभी तक नक्सल हिंसा की कोई घटना प्रतिवेदित नहीं हुई है। 2018 के बाद Special Area Committee या Eastern Regional Bureau की कोई भी बैठक झारखण्ड में नहीं हुई है। पड़ोसी सीमावर्ती राज्यों, जैसे- बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल, उड़ीसा, तेलंगाना एवं उत्तर प्रदेश के साथ बेहतर समन्वय बनाकर ससमय आसूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है। आसूचना आधारित अन्तर्राज्यीय उग्रवाद विरोधी अभियानों का संचालन भी लगातार किया जा रहा है। इसके लिए Joint Command Control Center, गया, बिहार का इस्तेमाल किया जाता है। जनवरी 2022 से अगस्त 2023 तक कुल 38 अन्तर्राज्जीय सीमा बैठकें आयोजित की गई है। Eastern Region Police Co-ordination की बैठक लगातार की जा रही है। शीर्ष नक्सल नेतृत्व एवं उनके परिजनों / समर्थकों की गतिविधियों की निगरानी की जा रही है। जमीनी आसूचना संकलन हेतु बड़ी संख्या में Special Police Officers की तैनाती क्षेत्रों में की गई है। केन्द्र एवं राज्य के विभिन्न एजेन्सियों के बीच आपसी समन्वय स्थापित कर आसूचना संकलन की कार्यवाही की जा रही है। वहीं, झारखण्ड राज्य में 129 Fortified Police Station का निर्माण किया जा चुका है एवं 08 थानों के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। राज्य सरकार द्वारा भा०क०पा० (माओ०) के 05 संगठनों (क्रांतिकारी किसान कमिटी, नारी मुक्ति संघ, झारखण्ड ए-वन ग्रुप झारखण्ड सांस्कृतिक मंच, मजदुर संगठन समिति) को प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही ऐसी संस्थायें जो गुप्त रूप से उग्रवादियों का समर्थन कर रहें हैं एवं उग्रवाद उन्मूलन अथवा विकास में बाधा बन रही है, ऐसी संस्थाओं पर निगरानी रखी जा रही है। जनवरी 2020 से अभी तक अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र, यथा सरायकेला- चाईबासा-खूँटी – राँची के सीमावर्ती क्षेत्र, बुढ़ा पहाड़, कोल्हान एवं पारसनाथ क्षेत्र में 48 सुरक्षा कैम्पों की स्थापना की गई है। इससे उस क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों पर ब्रेक लगी है। लोगों का सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है तथा विकास के कार्यों में तेजी आयी है।