रांची (Ranchi): भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री और रांची की निवर्तमान महापौर डॉ आशा लकड़ा ने आज कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशान साधा है। जिसके तहत आज भाजपा के प्रदेश कार्यालय में एक प्रेस वार्ता की गई। जहां आशा लकड़ा आदिवासी समाज और बाबूलाल मरांडी पर विधायक इरफान अंसारी द्वार विधानसभा में दिए गए बयान पर प्रेसवार्ता के माध्यम से प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि झारखंड आदिवासियों के त्याग और बलिदान का प्रतिफल है, लेकिन जामताड़ा से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी आदिवासियों के प्रति ओछी सोच रखते हैं। “आदिवासी इतना तेज कैसे हो गए हैं हमको समझ नहीं आता”।कहा कि विधायक इरफान अंसारी के इस बयान से पूरा आदिवासी समाज मर्माहत है। कांग्रेस पार्टी के डीएनए में ही जनजातीय समाज के प्रति विरोध है। झारखंड में अब तक आदिवासी समाज से 4 मुख्यमंत्री चुने गए। वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी आदिवासी हैं। लेकिन वे आदिवासी को ‘बोका’ समझते हैं।
झारखंड का इतिहास गवाह है कि आदिवासियों ने विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल कर इस राज्य का नाम रोशन किया है। आदिवासी समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है। भगवान बिरसा मुंडा, चांद-भैरव, फूलो-झानो, सिदो-कान्हू, तिलका माझी जैसे महापुरुषों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए। इरफान अंसारी पहले आदिवासियों के इतिहास को जाने।आदिवासी सरल, सहज व स्वाभिमानी हैं। कांग्रेस और जेएमएम न तो आदिवासियों के हितैषी थे और ना ही हो सकते हैं। ये आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर अपना हित साधते हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता ने प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति को भी अपने असंसदीय टिप्पणी से अपमानित किया।
इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा की आदिवासियों को इनके चेहरे पर लगे नकाब को पहचानना होगा। ये लोग न तो इस राज्य का विकास कर सकते हैं और ना ही आदिवासियों का। अब वक्त आ गया है, इन्हें सबक सिखाने का। इसलिए आदिवासी समाज के लोग एकजुट होकर आदिवासी विरोधी राजनीतिक पार्टियों को झारखंड की सत्ता से बेदखल करें।
झारखंड को आदिवासियों ने अपने खून-पसीने से सींचा है। मैं भी आदिवासी हूं और मुझे आदिवासी होने पर गर्व है। यहां की मिट्टी ही मेरी पहचान और वजूद है। मैं आदिवासी समाज से आह्वान करती हूं कि आदिवासियों को नीचा दिखाने वालों को जड़ समेत उखाड़ कर फेंके, ताकि भविष्य में हमें कोई नीचा दिखाने की कोशिश न करे।