महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा आरक्षण का मुद्दा नजर पर आ गया है। दरअसल इस मराठा आरक्षण के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है, सरकारों के अपने हिसाब से आरक्षण सीमाओं का बदलना।
भारत में आरक्षण की सीमा निर्धारित की गई है जिसके अनुसार आरक्षण की सीमा 50% से अधिक नहीं हो सकती लेकिन ज्यादातर राज्यों में यह सीमा लांघ दी गई है। अपने वोट बैंक बढ़ाने के लिए राज्य सरकार अपने हिसाब से आरक्षण में बदलाव करती है। भारतीय संविधान के अनुसार ओबीसी को सबसे अधिक 27% अनुसूचित जातियों को 15% और अनुसूचित जनजातियों 7.5% आरक्षण प्राप्त है। ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लोगों को 10% आरक्षण की व्यवस्था है।
महाराष्ट्र में लगभग 33 फ़ीसदी मराठा समुदाय निवास करती है। कई मुख्यमंत्री इसी समुदाय से बने हैं। मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे भी मराठा है, ऐसे में लोगों की मांग है कि उन्हें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण दिया जाए साथ ही मराठा अपने लिए ओबीसी दर्जे की मांग पर अड़े हुए हैं क्योंकि किसी भी राष्ट्रीय स्तरीय नौकरी के लिए रिजर्वेशन पॉलिसी फुलो की होती है।