औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद संसदीय सीट लोकसभा चुनाव के पहले ही हॉट सीट बन गई है भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता पूर्व सहकारिता मंत्री सह सदर के पूर्व विधायक रामाधार सिंह एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में आ गए हैं। औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह पर हमला बोला है और कहा है कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने दल विरोधी काम किया और कैंपेन कर मुझे हरवाया। इसलिए वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में यदि पार्टी सुशील सिंह को उम्मीदवार बनाती है तो वे भी सांसद को हराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
पार्टी विरोधी काम के सवाल पर पूर्व सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब सांसद ने विरोधी काम किया तो परती ने उनपर कोई कारवाई नही की तो मुझ पर क्यों कारवाई करेगी। पूर्व सहकारिता मंत्री के द्वारा दिए गए इस बयान के बाद राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है।उन्होंने कहा कि सांसद ने औरंगाबाद में चुनाव के अंतिम दिन पैसा बंटवाकर मुझे 2000 वोट से हरवाया।वही गया के गुुरुआ विधानसभा से दूसरा उम्मीदवार को खड़ा कर राजीव रंजन को हरवाया।ऐसी स्थिति में यदि लोकसभा चुनाव में उन्हें उम्मीदवारी मिलती है तो मैं उनके विरोध में काम करूंगा।गौरतलब है कि पूर्व सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह का सांसद के घर से काफी बेहतर संबंध रहे थे और उन्हें सांसद सुशील सिंह के पिता पूर्व सांसद राम नरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू अपना बड़ा पुत्र मानते थे। उस दौरान रामाधार सिंह भी सांसद के तीन भाइयों को अपना छोटा भाई मानते थे और किसी भी विषम परिस्थिति में पहले अपनी कुर्बानी देने तक को तैयार थे। यहां तक कि रामाधार सिंह ने सार्वजनिक रूप से कई मंचो पर खुद को लुटन बाबू का बड़ा बेटा भी कहते थे। लेकिन जब पूर्व सांसद लूटन बाबू राजनीति में अपने बेटे सुशील सिंह को आगे करना शुरू किया उसी समय इनके संबंध बिगड़े और इन्होंने अपना अलग रास्ता अख्तियार कर भारतीय जनता पार्टी का झंडा जिले में बुलंद किया और इस पार्टी के बड़े लीडर बन गए।उस वक्त सांसद के पिता समता पार्टी की राजनीति में एक नाम थे। लेकिन वर्ष 2013 में जब सांसद सुशील सिंह को समता पार्टी से जदयू बने पार्टी द्वारा पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा हुई तब उनके द्वारा अपनी राजनीति भाजपा में तलाशनी शुरू की गई और रामाधार सिंह के न चाहने के बाद भी वे वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा से टिकट लेने में कामयाब हुए। तब से दोनो एक दूसरे के धुर विरोधी हो गए और अपनी डफली अपना राग एक ही दल में रहकर अलापने लगे। हालांकि भाजपा उम्मीदवार सुशील सिंह ने चुनाव जीता लेकिन दोनो एक दूसरे के विरोधी होकर एक ही दल में अपनी अपनी राजनीति शुरु की।तब से लेकर आज तक पूर्व सहकारिता मंत्री जब भी मौका मिलता सांसद का विरोध करने में कोई कोर कसर नही छोड़ते।पिछले एक साल से पूर्व सहकारिता मंत्री पारालाईसिस अटैक के कारण अस्वस्थ चल रहे है।लेकिन स्वस्थ होने के बाद औरंगाबाद लौटने पर एक बार फिर हमलावर हो गए और सांसद के खिलाफ बयान देकर राजनीतिक सरगर्मी तेज कर दी।