बिहार के औरंगाबाद में ब्यूरोक्रेट पूरी तरह से चरम पर है नेता हो, सामाजिक कार्यकर्ता हो या फिर आम आदमी किसी की बात कोई सुनने को तैयार नहीं है और ऐसी शिकायतें भी लगातार आ रही है। लोगों का कहना है कि जब वरीय पदाधिकारी फोन ही नहीं उठाएंगे तो फिर आखिर मुसीबत में पड़ी जनता का क्या हाल होगा।
ऐसा ही मामला औरंगाबाद में नजरा देखने मिला जब दिल्ली के पूर्व कमिश्नर एवं पुलिस विभाग के कई वरीय पदों को सुशोभित कर सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए केरल तथा नागालैंड के पूर्व राज्यपाल रह चुके औरंगाबाद के पूर्व सांसद निखिल कुमार को ऐसे ही एक ब्यूरोक्रेट का सामना करना पड़ा। निखिल कुमार के आवास पर विभिन्न मोहल्ले में घटित चोरी की घटना का उद्भेदन ना होने और पुलिसिया व्यवहार एवं उनकी कार्यशैली से अजीज आ चुके लोगों ने पूर्व सांसद के समीप अपनी बातें को रखा और लगातार बढ़ रही चोरी की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए उनसे इस पर लगाम लगाने के लिए वरीय पुलिस पदाधिकारी से बात करने का आग्रह किया। स्थानीय लोगों की समस्या सुनकर पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने अपने पीए योगेंद्र बाबू को सदर एसडीपीओ स्वीटी सेहरावत को फोन मिलाने को कहा। मगर फोन मिलाने पर दो बार रिंग होने के बाद एसडीपीओ ने फोन काट दिया। फिर पूर्व राज्यपाल ने खुद अपने मोबाइल से एसडीपीओ को कॉल लगाया।लेकिन उनके रिंग होने के बाद एसडीपीओ ने उसे भी काट दिया। अंत में गुस्साए पूर्व राज्यपाल पैदल ही सीडीपीओ के आवास पहुंच गए। जहां उन्हें यह कहा गया कि मैडम आवास पर किसी से नहीं मिलती इसलिए कार्यालय जाए तो बेहतर होगा। गार्ड द्वारा एसडीपीओ को खबर भिजवाया गया कि पूर्व राज्यपाल मिलने आए हैं। तो बताया गया कि मैडम स्नान कर रही है। एसडीपीओ के गार्ड के द्वारा जवाब सुनकर पूर्व राज्यपाल को वहीं खड़ा रहना पड़ा। जिसे औरंगाबाद के डीडीसी अभ्येंद्र मोहन सिंह ने देख लिया और वहां पहुंचे तथा अपने आवास पर चलकर बैठने का आग्रह किया। लेकिन पूर्व राज्यपाल इतने गुस्से में थे कि वह आधे घंटे तक एसडीपीओ के आवास के बाहर ही खड़े रहे। एसडीपीओ साहिबा निकली और प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए पूर्व राज्यपाल का न तो अभिवादन किया और न ही उनके साथ अच्छा व्यवहार किया और यह कह दिया कि वे आवास पर किसी से नहीं मिलती। तब पूर्व राज्यपाल ने उन्हे फटकार लगाई और पुलिस मैन्युअल की याद दिलाई। बावजूद एसडीपीओ अपनी जिद पर अड़ी रही। लेकिन माहौल को भापते हुए उन्होंने उनकी बातें सुनी।पूर्व राज्यपाल ने शहर में बढ़ रही चोरी की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए पुलिसिया कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया। एसडीपीओ के द्वारा दिए गए किसी जवाब पर पूर्व राज्यपाल संतुष्ट नहीं हुए और उनके किए गए वार्ताओं पर दुख प्रकट किया। साथ ही साथ उन्हें पुलिसिया रूल और रेगुलेशन की भी जानकारी दी। पूर्व राज्यपाल के साथ एसडीपीओ के द्वारा किए गए इस बर्ताव की शहर में चर्चा होती रही। मतलब है कि एक सप्ताह पूर्व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी एसपी के द्वारा उनके साथ किए गए ऐसे ही वर्ताव पर दुख प्रकट किया था और मीडिया के समक्ष इसे प्रमुखता से रखा था।