हिंदू माह के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। चार बार का अर्थ है कि वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र महीने जिसमें पौष,चैत्र, आषाढ़ और अश्विन है। प्रत्येक माह की प्रतिपदा यानी एकम से नवमी तक का समय नवरात्रि का होता है। जिसमें माघ और आषाढ़ के नवरात्रों को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। प्रत्येक वर्ष आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है। हिंदू महीने के अनुसार चैत्र मास में वसंतीय तथा दूसरा अश्विनी मास में शारदीय नवरात्रि आते है।
प्रत्येक वर्ष दशहरा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की सस्ती तिथि को मनाया जाता है जिसमें मां के नौ रूपों की आराधना की जाती है। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से हो गई है। हर वर्ष माता अपने भक्तों से मिलने के लिए अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती है। जिसकी काफी मान्यता है। भागवत पुराण के अनुसार रविवार या सोमवार को नवरात्रि आरंभ होने पर माता हाथी पर सवार होकर आती है जो अच्छी वर्षा का प्रतीक है। इस वर्ष नवरात्र का आरंभ रविवार 15 अक्टूबर से हुई है।
हाथी, खुशी तथा संपन्नता का प्रतीक माना जाता है इस बार माता रानी की सवारी हाथी है जो काफी शुभ माना जाता है।इसके साथ ही माता रानी मुर्गा पर प्रस्थान करेंगे जो अशुभ माना जाता है मान्यताओं के अनुसार यह वहां दुख तकलीफ और कष्ट का संकेत है। मुर्गा राजतंत्र के लिए शुभ नहीं माना जाता है।