रांची :पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि नगड़ी मौजा में खेतीयोग्य खतियानी जमीन पर रिम्स-टू के निर्माण का विरोध पूरी तरीके से नगड़ी के रैयतों एवं ग्रामीणों के जीवन-यापन से जुड़ा मामला है. यहाँ ना तो झारखण्ड में स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने का कोई विरोध कर रहा है और न ही किसी को रिम्स-2 से कोई परहेज है. झारखण्ड में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के मामले में स्वास्थ्य मंत्री को यह शुभकामना है कि वे झारखण्ड में रिम्स-टू, थ्री, फोर, फाइव का निर्माण करें और झारखण्ड की स्वास्थ्य सुविधाओं को विश्व स्तरीय बनायें लेकिन इसके लिये उस नगड़ी मौजा की खतियानी खेतीयोग्य जमीन का अधिग्रहण करना कहीं से भी उचित नहीं है जहाँ वैसे ही आबादी के अनुपात में बहुत कम कृषि योग्य जमीन है और वहाँ के लोग अपने जीवन-यापन के लिये केवल उसी पर निर्भर हैं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि अपनी खेती की जमीन को बचाना नगड़ी के रैयतों एवं ग्रामीणों के लिये वैसा ज्वलंत मुद्दा है जिसके लिये सभी को संवेदनशील होना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि किसी भी विकास योजना या फिर रिम्स-टू जैसी परियोजनाओं के लिये यदि नगड़ी मौजा की खतियानी जमीन ली जायेगी तो कोई यह मानकर ना बैठे कि आदिवासी खामोशी से विस्थापन और पलायन का शिकार होते रहेंगे.
श्री तिर्की ने कहा कि कभी खान-खदान तो कभी किसी अन्य विकास योजना और कभी किसी औद्योगिक समूह के लिये जमीन अधिग्रहण की कीमत गरीब आदिवासी बहुत चुका चुके हैं. विस्थापन और पलायन का दंश भी आदिवासी बहुत झेल चुके हैं और यह अब बर्दाश्त से बाहर की बात है.
तिर्की ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री को अपने विभागीय अधिकारियों को यह आदेश देना चाहिये कि वे रांची या झारखण्ड में किसी अन्य उपयुक्त जमीन का चयन कर वहाँ रिम्स-टू का निर्माण करें क्योंकि नगड़ी में यह निर्माण पूरी तरीके से अनुचित और अप्रासंगिक है.
तिर्की ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री को अपने बड़बोलेपन की बजाय झारखण्ड की जमीनी समस्याओं, वास्तविकता और अबतक झारखण्ड में हुई राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक एवं अन्य गतिविधियों पर नजर डालते हुए अपने समझ के स्तर का उन्नयन करना चाहिये. तब उन्हें अच्छी तरीके से पता चल जायेगा कि झारखण्ड में कितनी खेती योग्य ज़मीन है, कितनी पठारी और जंगल कितने क्षेत्रफल में हैं? जबकि कितनी जमीन सरकारी है जहाँ विकास की अपार संभावनायें हैं. लेकिन जमीनी वास्तविकताओं से मुँह फेर कर जिस प्रकार से नगड़ी में रिम्स-2 के निर्माण के लिये स्वास्थ्य मंत्री का उतावलापन दिखाई दे रहा है वह केवल और केवल उनकी अदूरदर्शिता को ही दिखलाता है ना कि कुछ और. तिर्की ने कहा कि ज्वलंत मुद्दों पर स्वास्थ्य मंत्री से संवेदनशीलता एवं समझ भरी प्रतिक्रिया अपेक्षित है और बेहतर ये होगा कि वे उटपटांग बयानबाजी कर आंधी-तूफ़ान को न भड़कायें.
तिर्की ने कहा कि नगड़ी में जिस जमीन पर रिम्स-2 के निर्माण की बात की जा रही है वह पूरी तरीके से खतियानी जमीन है ना कि सरकारी और तभी तो अधिग्रहण की बात की जा रही है और ऐसी स्थिति में कोई इस बात को झूठा प्रचारित कर भ्रम ना फैलाये कि वहाँ सरकारी जमीन पर ही रिम्स-टू का निर्माण किया जा रहा है. तिर्की ने कहा कि लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ संपूर्ण कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ इंडिया गठबंधन की पूरी सरकार भी यह चाहती है कि झारखण्ड में स्वास्थ्य सुविधायें बढ़े और यहाँ संतुलित एवं समन्वित विकास हो लेकिन ऐसा किसानों और आदिवासियों को उनकी जमीन से विस्थापित कर नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि नगड़ी के ग्रामीणों का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के साथ ही इंडिया गठबंधन की सरकार पर पूरा-पूरा भरोसा है. साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से हुई मुलाकात के दौरान यह पूरी तरीके से स्पष्ट है कि वे ग्रामीण एवं लोगों की भावनाओं को पूरी तरह समझते हैं. उन्होंने कहा कि वैसे भी इस मामले में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री जी को ही लेना है और वह जन भावनाओं के अनुकूल कदम उठायेंगे, इसका उन्हें पूरा भरोसा है. श्री तिर्की ने आरोप लगाया कि राजधानी रांची और आसपास के क्षेत्रों में आदिवासियों को दिग्भ्रमित कर उनकी जमीन से बेदखल किया जाता रहा है. उन्होंने कहा कि प्रशासन और सरकार में बहुत सारे अधिकारियों के साथ-साथ वैसे अनेक नेता भी हैं जो मौका मिलते ही गलत बयानी कर, भ्रम फैलाकर और झूठ-छल-प्रपंच की राजनीति करते हुए केवल अपने स्वार्थ में अंधे होकर जनहित व भावनाओं के खिलाफ में जाकर कोई फैसला जमीनी स्तर पर लागू करवाना चाहते हैं. लेकिन अब अबुआ सरकार में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अपने जीते-जी नगड़ी में आदिवासियों की जमीन को वह लूटने नहीं देंगे और इसके लिये जरूरत पड़ेगी तो एक बार फिर से वैसा उलगुलान होगा जहाँ झारखण्ड के सभी ग्रामीणों का जुटान नगड़ी में ही होगा और नगड़ी के मुद्दे पर वे किसी भी कीमत पर पीछे हटनेवाले नहीं है.
शिक्षा और संस्कार के समन्वय से ही समाज का सशक्त निर्माण संभव — राज्यपाल
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