रांची/ नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से शनिवार को सूर्य के अध्ययन के लिए लांच किया गया आदित्य एल 1 की लांचिंग में झारखंड के आदित्य राज सिंह की भी भूमिका रही। उन्होंने भी इस मिशन में अपना योगदान दिया।
चंद्रयान-3 का हिस्सा रह चुके है :
रामगढ़ जिले के आदित्य राज सिंह इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (इसरो) एसडी वैज्ञानिक है। वे चंद्रयान-3 का भी हिस्सा रहे हैं। एसडी गुणवत्ता वैज्ञानिक के रूप में सेंसर व ट्रांसड्यूसर विभाग में कार्यरत है। उन्होंने क्लीयरेंस वास सर्टिफिकेशन का कार्य किया है उनका दायित्व रॉकेट व सेटेलाइट में लगे सेंसर इंजन वह यांत्रिक मशीनों के दबाव तापमान तथा ईंधन के स्तर की जानकारी देना है। आदित्य के इस गर्व गौरवपूर्ण कार्य के लिए झारखंड वासी काफी उत्साहित है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा कैथोलिक आश्रम स्कूल भुरकुंडा से की तथा कॉलेज रांची के घोषणा कॉलेज से आईएससी की जिसके बाद नागपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री ली। अपनी कड़ी मेहनत अथक प्रयासों के बाद वे वर्ष 2018 में इसरो में एसडी वैज्ञानिक के पद पर चयनित हुए।
आदित्य एल -1 क्या है:
आदित्य ने जानकारी देते हुए कहा आदित्य एल 1 सोलर मिशन सैटेलाइट एक सूर्य से जुड़ा प्रोजेक्ट है। इसकी लांचिंग पीएसएलवी-सी 57 रॉकेट के माध्यम से की गई, जिसमें सात पर लोड भेजे गए हैं। यह सूर्य के सबसे नजदीक लैंग्वेज पॉइंट वन के हेलो ऑर्बिट में भेजे गए हैं।
पृथ्वी से इसकी दूरी :
लैंग्वेज पॉइंट की दूरी पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की है जो चंद्रमा की दूरी से लगभग 4 गुना अधिक है यह लगभग 4 महीने में अपनी मंजिल तक पहुंच जाएगी।
उदयपुर की भागीदारी पेलोड निर्माण में दिया योगदान:
उदयपुर सौर वेधशाला अहमदाबाद भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के ही अधीन संचालित है। आदित्य एल 1 में लगे सात पेलोड में से एक पेलोड बनाने में उदयपुर किशोर वेधशाला के साइंटिस्ट डॉक्टर अनिल भारद्वाज की अहम भूमिका रही है। उन्होंने भी इसके लिए काफी मेहनत की है तथा अपना योगदान दिया है। उन्होंने उसे पेलोड की जानकारी देते हुए बताया कि जिस पर लौट को उनकी टीम द्वारा तैयार किया गया है उसका नाम आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट है अभी तक उदयपुर सौर वेधशाला में एक दिन में सिर्फ 10 घंटे ही रिसर्च वर्क चलता है लेकिन आदित्य एल 1 के बाद यहां सूर्य की हर गतिविधि का 24 घंटा अध्ययन किया जा सकेगा।