नर्ड दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया है। *रेखा गुप्ता* अब दिल्ली के नई मुख्यमंत्री होंगी। कल दोपहर करीब साढ़े 12 बजे रामलीला मैदान में मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण होगा।भाजपा प्रदेश कार्यालय में केंद्रीय पर्यवेक्षकों रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़ की मौजूदगी में नए मुख्यमंत्री के नाम पर विधायकों ने सहमति की मुहर लगाई। 8 फरवरी को भाजपा की जीत के बाद से ही नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अटकलों का दौर चल रहा था। रेस में करीब एक दर्जन नेताओं के नाम गिनाए जा रहे थे।सीट से विधायक दिल्ली के 8वें और अंतरिम सरकार के दो सीएम को जोड़ लें तो 10वें मुख्यमंत्री हैं। दिल्ली में इससे पहले आतिशी, अरविंद केजरीवाल, शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज, साहिब सिंह वर्मा, मदनलाल खुराना, गुरमुख निहाल सिंह और ब्रह्म प्रकाश को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला।27 साल बाद भाजपा को दिल्ली में सरकार बनाने का मौका मिला है। इससे 1993 से 1998 तक राजधानी दिल्ली में भाजपा की सरकार थी। लेकिन तब 5 साल में तीन बार मुख्यमंत्री बदलने की नौबत आ गई थी। क्रमश: मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज को सीएम की कुर्सी पर बिठाया गया था।भाजपा की जीत होती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इसे ‘आप’ की ओर से बड़ा मुद्दा बनाया गया था। अरविंद केजरीवाल ने बार-बार भाजपा को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के नाम की घोषणा करने की चुनौती दी थी। ‘आप’ ने इसे अपने कैंपेन का हिस्सा बनाते हुए पूछना शुरू कर दिया कि ‘भाजपा का दूल्हा’ कौन है? पार्टी ने एक अनोखा तरीका अपनाते हुए दिल्ली में कई जगह बैंड-बाजे के साथ खाली घोड़ा भी घुमाया। भाजपा ने बार-बार एक ही जवाब दिया कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा और मुख्यमंत्री पद की घोषणा चुनाव बाद विधायक दल की बैठक में होगी।भाजपा ने करीब तीन दशक बाद दिल्ली में बहुमत हासिल किया है। भाजपा ने 5 फरवरी को हुए मतदान में 48 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, पिछले दो चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली ‘आप’ 22 सीटों पर सिमट गई। 2020 में अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने 63 और 2015 में 67 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2013 के चुनाव में भाजपा बहुमत से कुछ ही कदम दूर रह गई थी। तब ‘आप’ ने कांग्रेस के साथ मिलकर पहली बार सरकार बनाई थी। हालांकि, यह सरकार 49 दिन ही चल पाई थी।