रांची – हजारीबाग जिले के बड़कागांव में फर्जी एफआईआर मामले पर हजारीबाग कोर्ट के कार्रवाई पर रोक के अंतरिम आदेश को हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल चौधरी की अदालत ने हटा दिया है। अधिवक्ता मनीष कुमार ने बचाव बहस में भाग लिया,जिसके बाद कोर्ट ने अंतरिम राहत को हटा दिया है। हाईकोर्ट में एनटीपीसी के पूर्व जीएम टी गोपाल कृष्ण ने निचली अदालत द्वारा तत्कालीन गढ़वा बीडीओ कुमुद झा, मधुपुर इंस्पेक्टर रामदयाल मुंडा (अब मुख्यमंत्री सुरक्षा ) स्पेशल ब्रांच इंस्पेक्टर अकील अहमद, सेवानिवृत्त डीएसपी अखिलेश सिंह और एनटीपीसी के सेवानिवृत्त जीएम टी गोपाल कृष्ण के खिलाफ समन जारी किया था। चिरुडीह में 17 मई 2016 को हुई घटना में बड़कागांव पुलिस ने तत्कालीन मजिस्ट्रेट वर्तमान गढ़वा बीडीओ का आवेदन बदलकर अन्य लोगों का नाम जोड़ दिया था। यह मामला बड़कागांव थाना की कांड संख्या 135/16 से संबंधित है।
कार्यपालक दंडाधिकारी का आवेदन बदलकर की गई थी गड़बड़ी, कोर्ट ने संज्ञान लेकर जारी किया था समन
हजारीबाग न्यायालय की न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी शिवानी शर्मा की कोर्ट ने तत्कालीन गढ़वा बीडीओ कुमुद झा, मधुपुर इंस्पेक्टर रामदयाल मुंडा, स्पेशल ब्रांच इंस्पेक्टर अकील अहमद, सेवानिवृत्त डीएसपी अखिलेश सिंह, एनटीपीसी के सेवानिवृत्त जीएम टी गोपाल कृष्ण को प्रथम दृष्टया आरोपी मानते हुए समन जारी किया। सभी आरोपियों को 20 नवम्बर को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश जारी किया गया था। सभी आरोपियों को मंटू सोनी द्वारा दायर परिवाद वाद संख्या 1644/22 में सुनवाई में अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार, पवन यादव, रंजन कुमार की दलील और गवाहों को सुनने के बाद कोर्ट ने धारा 166, 166ए,167, 218 और 220 में प्रथम दृष्टया दोषी माना और संज्ञान लेते हुए समन जारी करने का आदेश जारी किया है। प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए सभी आरोपी उस समय बड़कागांव, हजारीबाग में पदस्थापित थे।मई 2016 के चिरुडीह मारपीट मामले में थानेदार ने सूचक के आवेदन बदलकर जोड़ दिए थे 29 नामतत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद झा के आवेदन को बदलकर तत्कालीन थानेदार रामदयाल मुंडा(वर्तमान में स्पेशल ब्रांच मुख्यमंत्री सुरक्षा में तैनात) ने बड़कागांव थाना कांड संख्या 135/16 की केस डायरी के पैरा एक में कुमुद झा के हस्तलिखित आवेदन प्राप्त होने की बात लिखी है। जबकि मूल एफआईआर कॉपी टाइप किया हुआ है। थानेदार की कारगुजारी की पुष्टि करते हुए कुमुद झा ने कोर्ट में बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि उनके आवेदन को बदलकर थानेदार ने अपने मुंशी से टाइप करवाकर एफआईआर दर्ज की है।कुमुद झा के आवेदन में दो लोगों के नाम थे। थानेदार ने 29 अन्य लोगों का नाम जोड़ दिया था। एफआईआर कॉपी और कोर्ट में कुमुद झा का सिग्नेचर अलग-अलग है। एफआईआर कॉपी व डेट लिखावट कोर्ट में किए सिग्नेचर और डेट लिखावट में फर्क है। इस प्रकरण में मंटू सोनी ने हजारीबाग सदर सीजीएम ऋचा श्रीवास्तव की अदालत में परिवादवाद दायर किया था, जिसे ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट शिवानी शर्मा की कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था। इसी मामले में अधिकारियों सहित अन्य को आरोपी बनाया गया है।












