करीब 15 दिन पूर्व उत्पाद विभाग से एसीबी द्वारा भारी मात्रा में कागजात रात के अंधेरे में ले जाए गए थे। अवैध डीजीपी के संरक्षण में इस घटना को पूरी तरह से गुप्त और संदिग्ध परिस्थितियों में अंजाम दिया गया था। मैंने तब भी इस अस्वाभाविक गतिविधि पर सवाल उठाए थे।
अब जानकारी मिल रही है कि CAG ने झारखंड में उत्पाद नीति के क्रियान्वयन और लक्ष्य विरुद्ध राजस्व वसूली के आंकलन के लिए ऑडिट की तैयारी शुरू की थी, लेकिन ऑडिट शुरू होने से पहले ही उत्पाद विभाग ने कागजात उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया है, उनका कहना है कि सारे कागजात ACB ले गई है।
जो भी काग़ज़ात डीजीपी के नेतृत्व में एसीबी के लोगों द्वारा रात के अंधेरे में उठा कर ले जाये गये न तो उनका विधिवत फ़ोटो स्टेट करा कर विभाग के पास रखा गया और न ही उन कागजातों की विस्तारपूर्वक पूरी लिस्ट बनाकर उसका प्राप्ति रसीद एसीबी द्वारा उत्पाद विभाग को दिया गया है। लेकिन काग़ज़ात सौंपने वाले उत्पाद विभाग के अधिकारियों को चुप रहने को मजबूर कर रखा गया है।
तो क्या ACB द्वारा आधी रात को उत्पाद विभाग से कागजात ले जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था? क्या उत्पाद विभाग ऑडिट से डर रहा है? क्या हज़ारों करोड़ के घोटाले के सबूतों को मिटाने का प्रयास हो रहा है?
भ्रष्टाचारी लाख कोशिशें कर लें कानून से बच नहीं सकते। झारखंड में हुए शराब घोटाले को दबा नहीं सकते। देर सबेर इनके पापों का हिसाब जरूर होगा। झारखंड को लूटने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और अपराध सिद्ध होने पर दुबारा होटवार भेजा जाएगा।
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