रांची : राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने आज सरला बिरला विश्वविद्यालय, राँची के द्वितीय दीक्षांत समारोह में वर्ष 2022-23 और 2023-24 में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ प्रदान करते हुए कहा कि यह दीक्षांत समारोह न केवल विद्यार्थियों की शैक्षणिक यात्रा की पूर्णता का प्रतीक है, बल्कि यह उनके जीवन के एक नये अध्याय की शुरुआत भी है। उन्होंने कहा कि यह उपाधि केवल एक प्रमाण-पत्र नहीं, बल्कि यह समाज, राष्ट्र और मानवता के प्रति एक उत्तरदायित्व का संकेत है, अब उनके ज्ञान, अनुशासन, और मूल्यों की असली परीक्षा शुरू होती है।
राज्यपाल ने 43 स्वर्ण पदक विजेताओं को ‘बसंत कुमार सरला बिरला स्वर्ण पदक’ से सम्मानित किए जाने पर विशेष बधाई देते हुए कहा कि उनकी उत्कृष्टता संपूर्ण छात्र समुदाय के लिए प्रेरणादायक है। साथ ही, उन्होंने पारंपरिक और जैविक कृषि के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले पद्मश्री डॉ. खादर वल्ली को विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किए जाने पर कहा कि डॉ. वल्ली का कार्य स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में मील का पत्थर है। नई पीढ़ी के लिए उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है।
माननीय राज्यपाल ने सरला बिरला विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों की दिशा में सार्थक पहल हेतु बधाई दी और कहा कि यह नीति विद्यार्थियों के समग्र विकास, बहुविषयक अध्ययन और भारतीय ज्ञान परंपराओं की पुनर्स्थापना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे केवल नौकरी के आकांक्षी न बनें, बल्कि नवाचार, उद्यमिता और अनुसंधान की दिशा में अग्रसर होकर रोजगार सृजन में भागीदार बनें। उन्होंने कहा कि “झारखंड की संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक संसाधन युवाओं को असीम संभावनाएँ प्रदान करते हैं। आप अपने ज्ञान और कौशल से न केवल स्वयं को, बल्कि समाज और राष्ट्र को भी सशक्त बना सकते हैं।” उन्होंने कहा कि “आज का भारत वैश्विक मंच पर जिस आत्मविश्वास और गति से आगे बढ़ रहा है, उसमें युवाओं की सक्रिय भागीदारी और सकारात्मक सोच निर्णायक भूमिका निभा रही है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण की जो परिकल्पना की गई है, उसमें शिक्षा, नवाचार और जनभागीदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।”
राज्यपाल ने विद्यार्थियों को मानवीय मूल्यों, करुणा, संवेदना और सत्यनिष्ठा से जुड़े रहने का संदेश देते हुए कहा कि डिजिटल युग में भी हमारी सांस्कृतिक जड़ें और जीवनमूल्य ही हमारी सबसे बड़ी पूँजी हैं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूर्ण करेगा, तब हम सभी एक ऐसे भारत को देखना चाहते हैं जो आत्मनिर्भर, सशक्त, समावेशी और वैश्विक नेतृत्वकर्ता हो। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति में आप जैसे शिक्षित, जागरूक और संकल्पबद्ध युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी।
झारखण्ड प्लस टू शिक्षक संघ ने इसके विरोध में आंदोलन करने की घोषणा की !
राँची :झारखण्ड राज्य सरकार के द्वारा पीजीटी-टीईटी संवर्ग के पदों को मर्ज करने के फैसले का विरोध तेज हो गया...