रांची :सूर्या हांसदा पुलिसिया एनकाउंटर की सीबीआई जांच करवाने मांग को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जाकर से मुलाकात की है। राज्य सरकार और यहां पुलिस प्रशासन की तानाशाही और हठधर्मिता से अवगत कराते हुए कई मांग की गई है। इस प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के साथ कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र कुमार राय जी, प्रदेश महामंत्री सह राज्यसभा सांसद आदित्य प्रसाद साहू एवं प्रदीप वर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश प्रसाद, विकास प्रीतम, रांची विधायक सीपी सिंह , हटिया विधायक नवीन जायसवाल श्रीमती गंगोत्री कुजूर, प्रदेश मंत्री श्री गणेश मिश्रा, सरोज सिंह, श्रीमती सुनीता सिंह, प्रदेश मीडिया सह प्रभारी श्री योगेन्द्र प्रताप सिंह एवं श् अशोक बड़ाईक जी शामिल थे झारखंड के गोड्डा जिले में 11 अगस्त, 2025 को हुए सूर्या हांसदा के कथित पुलिसिया एनकाउंटर (सुनियोजित हत्या) के मामले से भली-भांति अवगत ही होंगे। यह मामला झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के राज में एक सामाजिक, राजनैतिक व क्षेत्र में लोकप्रिय आदिवासी व्यक्ति के साथ हुए नाइंसाफी की पराकाष्ठा का एक ज्वलंत उदाहरण है। एक सुनियोजित हत्या को पुलिसिया एनकाउंटर की शक्ल देने के मामले से पर्दा उठाने, पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए इसी गंभीर मामले की कई अहम पहलूओं और पुलिस एवं राजनीति के अनैतिक गठबंधन से एक आदिवासी की मौत को हमारी पार्टी राज्य के इस ज्वलंत मामले की तरफ आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहती है।
सूर्या हांसदा को पुलिस 10 अगस्त को उनके रिश्तेदार के घर ग्राम-नावाडीह, प्रखंड-मोहनपुर, जिला-देवघर से उठाती है और 11 अगस्त को ललमटिया, महागामा में पुलिस एनकाउंटर दिखाकर उनकी हत्या कर देती है। मामले को लेकर पहले दिन से ही लगातार सवाल उठ रहे हैं। पूरा मामला ही सवालों के घेरे में है। सूर्या हांसदा की मां और पत्नी ने इस मामले को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सूर्या हांसदा की गिरफ्तारी के बाद न तो उनका मेडिकल टेस्ट कराया गया और न ही किसी सक्षम न्यायालय में ही पेश किया गया। जबकि सूर्या हांसदा टाइफाइड रोग से ग्रसित थे। वे वेल्लोर से इलाज कर लौटे थे।
इस मामले में पुलिस अपना दामन बचाने के लिए सूर्या हासंदा को एक दुर्दांत अपराधी के रूप से पेश कर रही है। जबकि सूर्या हासंदा के जीवन का एक अन्य पहलू पुलिस के तमाम आरोपों को सिरे से झुठला रहे हैं। सूर्या हांसदा अपराधी नहीं संवेदनशील, सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता थे। सूर्या हांसदा एक बार नहीं बल्कि चार बार बोरियो विधानसभा क्षेत्र से लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास करते हुए चुनाव लड चुके थे। इतना ही नहीं वे गोड्डा जिले के ललमटिया में चाँद भैरव राजा राज विद्यालय संचालित कर एवं अन्य माध्यमों में सैकड़ों गरीब आदिवासी बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण की जिम्मेदारी उठाते थे।
जिस सूर्या हांसदा को पुलिस अपराधी बता रही है, माननीय न्यायालय ने उन्हें किसी मुकदमे में अपराधी नहीं पाया है। पुलिस ने जिन 24 मुकदमों का जिक्र किया है उसमें से 14 में वे बाइज्जत बरी हो चुके थे। पांच मुकदमे में वे जमानत पर थे और पांच में जमानत विचाराधीन था। स्व. सूर्या हांसदा को अब तक किसी भी न्यायालय ने अपराधी घोषित नहीं किया था, फिर भी उनकी जान ले ली गई। यह न्याय व्यवस्था पर सीधा सवाल है। सिर्फ मुकदमा होना या जेल जाना, किसी को अपराधी साबित नहीं करता। बताया जाता है कि जहाँ सूर्या हांसदा का तथाकथित एनकाउंटर हुआ, वहाँ पत्रकार और स्थानीय लोगों को जाने नहीं दिया गया। लेकिन जब बॉडी उठाने के बाद लोग पहुँचे, तो वहाँ जमीन पर एक बूंद भी खून नहीं था।
भाजपा लगातार मांग कर रही है कि इस जघन्य अपराध की जांच सीबीआई से हो और दोषियों को कड़ी सजा मिले। लेकिन राज्य सरकार इससे ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। हमारी पार्टी ने केवल सदन में ही इस मामले को गंभीरता से नहीं उठाया बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा जी के नेतृत्व में सात सदस्यीय कमिटी बनाकर मामले की पूरी जमीनी रिपोर्ट तैयार करवायी है। रिपोर्ट में परिजनों, स्थानीय लोगों, उनके वकील से तमाम जानकारियां ली गई हैं। मैं परिजनों से मिलकर खुद सारी वस्तुस्थिति से अवगत हो चुका हूँ। मामले को राज्यसभा में सांसद श्री आदित्य साहू जी ने उठाया है। सूर्या हांसदा के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग भी संज्ञान ले चुका है। कह सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी इस मामले को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास में जुटी हुई है। परंतु राज्य सरकार मामले का सच सामने नहीं लाना चाहती है।
पूरी संभावना है कि गोड्डा पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर सूर्या हांसदा की हत्या की है। सूर्या हांसदा के फर्जी एनकाउंटर में मुख्यमंत्री के बरहेट विधायक प्रतिनिधि की भूमिका भी संदिग्ध है। परिजनों और कई लोगों को आशंका है कि इस मामले में उनकी संलिप्तता रही है। लोगों और परिजनों को पूरी आशंका है कि राजनीतिक कार्यकर्ता सूर्या हांसदा की साजिश के तहत सत्ताधारी दल, माफिया के गठजोड़ ने पुलिस द्वारा हत्या को अंजाम दिया है। वे अवैध खनन और आदिवासियों की जमीन पर अवैध कब्जे, आदिवासी, पहाड़िया बच्चियों पर दूसरे धर्मों के लोगों के द्वारा शोषण, बांग्लादेशी घुसपैठ सहित कई मोर्चों पर राज्य सरकार, सरकार से जुड़े लोगों एवं प्रशासन के खिलाफ लडाई लड़ रहे थे। आज हालात इतने भयावह है कि सूर्या के परिजन और उनके वकील भी दहशत में हैं। इनमें असुरक्षा की भावना घर कर चुकी है।
जो स्थिति है कि राज्य की पुलिस और एजेंसी से कतई न्याय नहीं मिल सकता है। मामले की सीबीआई जांच आवश्यक है। सरकार कुंभकर्णी निन्द्रा से तभी जागती है जब राजभवन या हाईकोर्ट द्वारा कोई निर्देश जारी होता है। अन्यथा इस सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती और यह सारे नियम-कायदों को रौंदने में विश्वास करती है।
अतएव, महोदय आपसे विनम्र निवेदन है कि आप उपरोक्त मामले में राज्य सरकार को सीबीआई जांच कराने को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश देने की कृपा करें। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। साथ ही सूर्या हांसदा के परिजनों व वकील को सुरक्षा उपलब्ध कराने को लेकर भी निर्देशित किया जाय।












