रांची :झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था लगातार बदहाली की ओर बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री श्री इरफ़ान अंसारी द्वारा हाल के दिनों में दिए गए बयान न केवल जनता को भ्रमित कर रहे हैं, बल्कि संविधान, सेवा नियमों और कानून की मूल भावना पर भी गंभीर प्रश्न खड़े कर रहे हैं। प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज़ ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि पद की गरिमा और संवैधानिक मर्यादाओं की खुलेआम अनदेखी की जा रही है।
राफिया नाज़ ने कहा कि संविधान के अनुसार प्रत्येक मंत्री संविधान एवं गोपनीयता की शपथ लेता है, इसके बावजूद स्वास्थ्य मंत्री द्वारा बार-बार यह दावा करना कि वे ₹3 लाख प्रतिमाह वेतन पर नौकरी दिला सकते हैं या मनचाही पोस्टिंग करा सकते हैं, संवैधानिक व्यवस्था और सेवा नियमों का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कानून में यह प्रावधान नहीं है कि कोई मंत्री सीधे नौकरी दे सके या पैसे अथवा प्रभाव के आधार पर नियुक्ति करा सके।
उन्होंने कहा कि यदि कोई मंत्री इस प्रकार संविधान और सेवा नियमों का उल्लंघन करता है, तो वह भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 13(1)(a) के अंतर्गत पद के दुरुपयोग का दोषी माना जाता है तथा धारा 13(2) के तहत उसे चार से दस वर्ष तक की जेल और जुर्माने की सज़ा हो सकती है, जो मंत्री, विधायक और अधिकारियों सभी पर समान रूप से लागू होती है।
राफिया नाज़ ने सवाल उठाया कि यदि नौकरी देने का इतना प्रबंधन उपलब्ध है, तो सड़क दुर्घटना में लापरवाही के कारण जिन बच्चों की जान चली गई, उनके परिजनों को नौकरी क्यों नहीं दी गई। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य मंत्री द्वारा अपने वेतन से एक लाख रुपये मुआवज़ा देने की जो बात कही गई थी, यदि वह मुआवज़ा वास्तव में दिया गया है तो उसका सार्वजनिक रूप से विवरण सामने लाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा रूबिका पहाड़िया की निर्मम हत्या का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री की चुप्पी बेहद चिंताजनक है। उन्होंने सवाल किया कि पहाड़िया परिवार को कितना मुआवज़ा दिया गया और इस पर सरकार या मंत्री द्वारा सार्वजनिक बयान क्यों नहीं दिया गया।
राफिया नाज़ ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्री रील और बयानबाज़ी में अधिक व्यस्त हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि आज झारखंड में एंबुलेंस जैसी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा तक आम जनता को उपलब्ध नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि चाईबासा में चार माह की बच्ची की मौत केवल इसलिए हो गई क्योंकि समय पर एंबुलेंस नहीं मिली, लेकिन इसके बावजूद मंत्री बच्चे की उम्र को लेकर बहस करते रहे।
उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि बच्चा चार दिन का हो, चार महीने का या चार साल का, ऐसी संवेदनहीन बयानबाज़ी शर्मनाक है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ज़मीनी सच्चाई से कट चुकी है और मानवीय संवेदनाओं से दूर होती जा रही है।
राफिया नाज़ ने कहा कि झारखंड के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में स्थिति अत्यंत भयावह है। लोग इलाज के लिए अपनी सीमित जेब से खर्च करने को मजबूर हैं, मुख्यमंत्री ग्राम बस योजना ज़मीनी स्तर पर कहीं दिखाई नहीं देती, आदिवासी व्यक्ति अपनी गर्भवती पत्नी को कंधे पर उठाकर अस्पताल-दर-अस्पताल भटकने को मजबूर हैं और गुमला, सिमडेगा, चाईबासा, रांची सहित कई जिलों में समय पर एंबुलेंस न मिलने से लोगों की मौतें हो रही हैं। कई स्थानों पर ऑपरेशन थिएटर में टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन किए जाने और समय पर चिकित्सा सहायता न मिलने से बच्चों और मरीजों की जान जाने की घटनाएँ सामने आई हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि जेलों में बंद महिला कैदियों के लिए नर्स तक उपलब्ध नहीं है और कई लोगों की मौत केवल इसलिए हो गई क्योंकि समय पर एंबुलेंस नहीं मिल सकी। यह स्थिति स्वास्थ्य व्यवस्था की असफलता को उजागर करती है।
थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को HIV पॉज़िटिव रक्त चढ़ाए जाने की घटनाओं पर चिंता जताते हुए राफिया नाज़ ने कहा कि यह स्वास्थ्य सुरक्षा पर गंभीर सवाल है। इसके साथ ही झारखंड में अवैध कफ सिरप के ठिकानों पर छापेमारी में बड़ी संख्या में बोतलों की बरामदगी और गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत अवैध गतिविधियाँ बेखौफ चल रही हैं।
बजट पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि राज्य का कुल स्वास्थ्य बजट लगभग ₹7,427.50 करोड़ है और इसके अतिरिक्त ₹729 करोड़ का सप्लीमेंट्री बजट भी है, इसके बावजूद उनके आकलन के अनुसार ज़मीनी स्तर पर दस प्रतिशत से अधिक राशि का प्रभावी उपयोग नहीं हो पा रहा है।
अंत में राफिया नाज़ ने कहा कि एक ओर मंत्री मुस्लिम आयुष डॉक्टर को नौकरी देने की बात करते हैं और दूसरी ओर मुस्लिम बेटी के योग करने को अंग-प्रदर्शन बताया जाता है। यह दोहरा रवैया न केवल सामाजिक सौहार्द के लिए ख़तरनाक है, बल्कि संवैधानिक मूल्यों के भी विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता को रील, बयान और खोखले वादों की नहीं, बल्कि एक जवाबदेह, संवेदनशील और मज़बूत स्वास्थ्य व्यवस्था की आवश्यकता है।
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