रांची : राजधानी में sरिम्स ऑर्थोपेडिक यानी हड्डी रोग विभाग द्वारा गुरुवार को संपूर्ण घुटना आर्थ्रोप्लास्टी पर एक लाइव सर्जिकल कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन रिम्स निदेशक प्रोफेसर डॉ राजीव कुमार गुप्ता ने किया। कार्यशाला में रिम्स के डीन प्रो. डॉ. विद्यापति, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ. हिरेंद्र बिरुआ, उपाधीक्षक मेडिकल डॉ.शैलेश त्रिपाठी भी शामिल हुए। हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ.गोविंद कुमार गुप्ता ने कार्यशाला के लाभों के बारे में विस्तार से बताया और कहा के ऐसे आयोजनों से चिकित्सकों का बौद्धिक विकास और कौशल वृद्धि होती है।
रिम्स निदेशक डॉ गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि, रिम्स में ऐसी ऑपरेटिव प्रक्रियाएं आम हैं। हालांकि सीखते रहना यह एक सतत प्रक्रिया है और आर्थोपेडिक सर्जिकल के क्षेत्र में आए दिन नए तकनीक विकसित हो रहे हैं। ऐसे में चिकित्सकों को अपडेट रहना आवश्यक है। प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. दीपांकर सेन ने गंभीर दर्द और कार्यात्मक सीमाओं के साथ ऑस्टियोआर्थराइटिस के रोगियों के लिए संपूर्ण घुटना प्रतिस्थापन के लाभों पर प्रकाश डाला और साथ ही ऐसी प्रक्रियाओं की लागत को कम करने पर जोर दिया ताकि ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सके।
कार्यशाला के उद्घाटन समारोह के बाद एक लाइव सर्जरी की गई जिसमें ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीज को टोटल घुटना रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए भर्ती कराया गया था। यह पूरी प्रक्रिया जिसमे निदान से लेकर दवा, अस्पताल में भर्ती और ऑपरेटिव प्रक्रिया, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा के तहत किया गया।
देश के विभिन्न हिस्सों से कुल 125 डॉक्टर, जूनियर और सीनियर रेजिडेंट्स ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और इस तरह की शिक्षा प्रदान करने के लिए संस्थान के प्रयास की सराहना की।