रांची :झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने पी.सी.पी.एन.डी.टी. गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम* के अनुपालन में कोई भी ढील नहीं बरतने की स्पष्ट निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में इस अधिनियम के उल्लंघन के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि लिंग निर्धारण और भ्रूण हत्या जैसे अपराधों पर रोक लगाई जा सके। यह निर्देश मंत्री ने नामकुम स्थित लोक स्वास्थ्य संस्थान आई.पी.एच. सभागार में आयोजित *पी.सी.पी.एन.डी.टी. अधिनियम* पर कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर दिए। इस कार्यशाला में राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जन और कार्यपालक दंडाधिकारियों ने भाग लिया। मंत्री ने कार्यशाला में संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार बेटियों के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि *मैय्या सम्मान योजना* और *सावित्री बाई फूले योजना* जैसे कार्यक्रम बेटियों को शिक्षा, रोजगार और समग्र विकास के अवसर प्रदान कर रहे हैं। मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि बेटियाँ बोझ नहीं हैं, बल्कि वे देश की प्रगति में सहायक बन रही हैं। उन्होंने समाज में बेटियों के प्रति संकुचित मानसिकता को बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया।
नशा उन्मूलन पर भी दी गई सख्त चेतावनी .
स्वास्थ्य मंत्री ने नशे के खिलाफ भी कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया। उन्होंने नशा कारोबारियों के सिंडिकेट की पहचान करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड के अभियान निदेशक अबु इमरान ने राज्य में लिंग अनुपात के असंतुलन पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने जिलों में लीगल मॉनिटरिंग टीम के साथ मिलकर पी.सी.पी.एन.डी.टी. अधिनियम का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, उन्होंने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सभी अल्ट्रासाउंड क्लिनिकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और किसी भी जांच की शुरुआत केवल योग्य डॉक्टर की उपस्थिति में हो। अभियान निदेशक ने *100-दिन के टी.बी. अभियान* में खनन और आदिवासी क्षेत्रों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने सभी सिविल सर्जनों से भौतिक और वित्तीय खर्च का विवरण समय पर भेजने का निर्देश दिया।कुष्ठ और कालाजार उन्मूलन के लिए भी दिशा-निर्देशअभियान निदेशक ने कुष्ठ और कालाजार उन्मूलन कार्यक्रमों के संबंध में भी आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। कार्यशाला में स्वास्थ्य अधिकारियों की उपस्थिति कार्यशाला में निदेशक मुख्य स्वास्थ्य सेवाएँ चंद्र किशोर साही ने लिंग निर्धारण कर भ्रूण हत्या को एक जघन्य अपराध बताते हुए कहा कि इस प्रकार के अपराधों को किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, पी.सी.पी.एन.डी.टी. अधिनियम कोषांग प्रभारी डॉ. कमलेश कुमार, मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य कोषांग प्रभारी डॉ. पुष्पा और राज्य समन्वयक रफत फरजाना ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए और अधिनियम के अनुपालन के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की।