रांची :झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार पर गंभीर वित्तीय भेदभाव का आरोप लगाया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दावा किया है कि पिछले पाँच वर्षों में केंद्र की सहायता में 70% से अधिक की कटौती हुई है और केंद्र पर राज्य का ₹1.36 लाख करोड़ बकाया है।
वित्त विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2019-20 में केंद्रीय अनुदान कुल प्राप्तियों का 21% था, जो 2023-24 में घटकर मात्र ₹6,266 करोड़ रह गया।
राज्य सरकार का कहना है कि जल जीवन मिशन के तहत 11,152 करोड़ के मुकाबले केवल 5,917 करोड़ ही मिले, जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना में भी लाभार्थियों की राशि घटा दी गई।
PMGKAY में ₹227 करोड़, 15वें वित्त आयोग में ₹2,726 करोड़, और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए SRE/SCAS फंड पिछले दो साल से बंद हैं।
मुख्यमंत्री ने इसे “राजनीतिक भेदभाव” बताते हुए कहा कि केंद्र बिहार को ₹1.65 लाख करोड़ देता है, जबकि झारखंड को सिर्फ ₹46,000 करोड़ मिले।
राज्य ने कहा है कि सभी उपयोगिता प्रमाण-पत्र समय पर दिए गए, इसके बावजूद फंड रोके गए।
सरकार अब इस मामले में श्वेत पत्र जारी करने और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।
विपक्ष ने इसे “राजनीतिक नाटक” बताया है, लेकिन आंकड़ों की इस जंग ने झारखंड और केंद्र के बीच तनातनी को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।
पद संरक्षण की मिसाल पेश कर रही हेमंत सरकार…..बाबूलाल मरांडी !
रांची :मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन के कार्यकाल में जिले का एसपी बदलने से बचाने के लिए पूरे आईपीएस...












