रांची :क्या झारखण्ड में फिर JMM–BJP गठबंधन की सरकार बन सकती है? 🏹🪷
मेरे निजी विचार और राजनैतिक सूझबूझ पर आधारित आँकलन
झारखंड की राजनीति में फिर वही सवाल गूंज रहा है—
क्या हेमंत सोरेन BJP के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं?
जवाब है: हाँ, और ये दोनों दलों की मजबूरी भी है।
JMM को क्यों जरूरत है?
डबल इंजन आते ही केंद्र का रुका पैसा तुरंत जारी होगा।
मइयाँ जैसी योजनाएँ तभी चलेंगी जब फंड बहेगा—तभी “कमाई” भी चलेगी।
कांग्रेस–RJD की जगह सिर्फ एक भाजपा के हाईकमान से डील।
ंश ED–CBI के डर से छुटकारा।
शिबू सोरेन को भारत रत्न मिलने की संभावना बहुत मजबूत।
RJD के 3 विधायक भी साथ आ सकते हैं।
कुछ आदिवासी–क्रिश्चियन–मुस्लिम वोटर हटेंगे, लेकिन उतने ही वोट “केंद्र फंड रोके जाने” से भी नाराज़—असर बराबर।
BJP को क्यों फायदा?
गुजरात (14.7%), MP (21.1%), छत्तीसगढ़ (30.6%), महाराष्ट्र (15%)—इन बड़े ट्राइबल राज्यों में BJP को जेएमएम जैसे मजबूत आदिवासी दल का साथ बड़ा गेमचेंजर बन सकता है।
दुमका, राजमहल, खूंटी, चाईबासा जैसी सीटों पर सीधा लाभ।
पूर्वी भारत से कांग्रेस लगभग साफ—2029 का सबसे बड़ा लक्ष्य!
हम सरकारें गिराते नहीं, स्थिरता देते हैं—नीतीश मॉड
लेकिन BJP के आदिवासी नेता क्यों नाराज़ होंगे?
क्योंकि हेमंत के CM रहते ही—
उनका राजनीतिक कद कमजोर।
आदिवासी नेतृत्व JMM के पास चला जाएगा।
5–10 साल तक BJP का अपना ट्राइबल चेहरा उभरना मुश्किल।
मरांडी और मुंडा की JMM-विरोध वाली पूरी राजनीति फीकी पड़ जाएगी।
यही वजह है कि दिल्ली चाहे तो भी, झारखंड BJP के आदिवासी नेता दिल से इस गठबंधन को नहीं चाहेंगे।
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निचोड़
JMM–BJP गठबंधन संभव भी है और लाभकारी भी
बस सवाल इतना है कि दिल्ली क्या सोचती है… और रांची कितना झुकती है।
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