रांची :झारखंड में 1000 करोड़ शराब घोटाले की जाँच में जान-बूझकर की गई ढिलाई और आरोपियों को जमानत मिलने पर पूर्व सीएम प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सवाल खड़ा किया है ,इसको लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है .उन्होंने कहा है कि मुझे आशंका थी कि शराब घोटाले की जाँच और गिरफ्तारी केवल जनता की आँखों में धूल झोंकने, बड़े षड्यंत्रकारियो को बचाने और भयादोहन कर मोटी रकम वसूली का रास्ता निकालने का एक प्रयास है और दुर्भाग्य से यह आशंका अब सच साबित हो रही है। जिस प्रकार आनन-फानन में ACB ने एक बड़े अधिकारी को पूछताछ के लिए बुलाया और तुरन्त गिरफ्तार कर लिया, उस समय दिखाई गई तत्परता अब न जाने कहाँ गायब हो गई है। यह बात आम जनमानस को पच नहीं रही है कि आपकी सरकार तीन महीने के भीतर एक चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाई, जिसके कारण एक-एक कर जेल में बंद सारे आरोपियों को जमानत मिल रही है। भ्रष्टाचार के ऐसे गंभीर मामलों में जाँच एजेंसियाँ अभियुक्तों से पूछताछ करती है तो उसके पूरे बयान को बाक़ायदा प्रमाणस्वरूप हूबहू रिकार्डिंग करा कर सुरक्षित रखती है। ख़ासकर बडे़ अधिकारियों या दूसरे प्रभावशाली अभियुक्तों के मामले में तो यह किया ही जाता है। मुझे पता चला है कि एसीबी ने जिन अधिकारियों व पदाधिकारियों को गिरफ़्तार कर पूछताछ किया है उनमें से किसी के भी पूरे पूछताछ की रिकॉर्डिंग नहीं रखी गयी है ताकि जाँच अधिकारी को जो मन मुताबिक़ लगे वही बयान दर्ज करे, जिसको चाहे उसको फँसा दें और जिसको चाहे उसको बचा ले। यह मेरे समझ से परे है कि ये सब गोरखधंधा, समय पर चार्जशीट न करने की योजना पर काम आप की सहमति से हुआ है या नहीं ? मुझे तो नहीं लगता कि इतना बड़ा गोरखधंधा और डील बिना आपकी इजाज़त के करने की हिम्मत कोई अधिकारी कर सकता है ? विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री के नाते अगर ये सब आपकी जानकारी और सहमति से हुआ है और हो रहा है तब तो भगवान ही मालिक हैं। लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो बिना विलंब दोषी अफ़सरों पर कार्रवाई करें ताकि जाँच की आँच देर सबेर आप तक न पहँुच जाय। मैंने पूर्व में भी कई पत्रों के माध्यम से आपको इस तथाकथित शराब नीति की खामियों और एक बड़े घोटाले के प्रति सचेत किया था। लेकिन आपने उन पर कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। आपकी निष्क्रियता से यह स्पष्ट होता है कि यह घोटाला हुआ नहीं, बल्कि साजिशन करवाया गया जिस अपराध के लिये आप भी समान रूप से ज़िम्मेदार हैं। आज मैं पुनः पूरे दावे के साथ कह रहा हूँ कि यह पूरा खेल छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट से जुड़े झारखण्ड एवं रायपुर से लेकर दिल्ली तक के बड़े माफियाओं को बचाने के लिए रचा गया है। मुझे जानकारी मिली है कि कुछ बड़े अधिकारियों ने एक बहुत बड़ी डील करके जान-बूझकर समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं होने दी, क्योंकि उन्हें यह अच्छी तरह पता था कि ऐसा न करने पर आरोपियों को जमानत मिलनी तय है। आप खुद ACB के मंत्री भी हैं। कल आप फिर कहेंगे कि आपको इस मामले की कोई जानकारी नहीं थी और अधिकारियों ने आपको अंधेरे में रखा। इसलिए मैं, आपको आज ही सचेत कर रहा हूँ। आप इसका संज्ञान लीजिये कि बड़े आरोपियों को बेल दिलाने के लिये जान बूझकर समय पर चार्जशीट न करने के लिये किन लोगों ने कितनी बड़ी डील की है और इस डील के लाभार्थी कौन लोग हैं ? किस वजह से समय पर चार्जशीट नहीं कर आरोपियों को ज़मानत का लाभ दिलाया जा रहा है ? इस साज़िश में कौन-कौन लोग शामिल हैं ? ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन पर कठोर कार्रवाई का आदेश बिना विलंब दीजिये। मेरा आपसे पुनः आग्रह है कि आप इस दिखावे की जाँच को बंद कर पूरे मामले की CBI जाँच करवाएँ ताकि वास्तविक दोषियों को पकड़ा जा सके और केस करने, पकड़ने और फिर डील कर ज़मानत की सुविधा प्रदान कराने वाले षड्यंत्रकारियों पर कारवाई हो सके।
पेसा के नाम पर आदिवासियों को “लॉलीपॉप” दिखा रही है : रघुवर दास !
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