मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा राज्य में पुरस्कार देना उनका विशेषाधिकार है ,वे जिसे चाहें, जब चाहें, किसी भी पुरस्कार से सम्मानित कर सकते हैं।
कहा कि राजा हैं चाहें तो चोर, उच्चके, डकैत किसी को भी सम्मानित कर सकते हैं। वैसे भी, उनके कार्यकाल में तो डीजीपी का पद भी मानो “पुरस्कार” बन गया है — जैसे मन में आया, जिसे मन आया, उसे दे दिया और जब मन बदला, वापस ले लिया। उनके रसूख़ के सामने क़ायदे-क़ानून की क्या औक़ात है?
कहा कि फिर भी, एक तथ्य मुख्यमंत्री के ध्यान में लाना चाहता हूँ। जानकारी मिल रही है कि JAP-2 के आरक्षी रणजीत राणा को भी सम्मानित करने की तैयारी है। सम्मानित होने वालों की सूची में 27 नम्बर पर शामिल यह वही चर्चित व्यक्ति है जो आज तक किसी भी नक्सल अभियान में शामिल नहीं हुआ बल्कि वर्ष 2015 से लगातार अनुराग गुप्ता के कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत रहा है।
कहा कि अनुराग गुप्ता के काले कारनामों का मददगार, राज़दार और हिस्सेदार की लिस्ट में शामिल ये सज्जन वही है जिसका नाम पहले भी मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया था। पुलिस महकमे से लेकर कोयला चोरी के अलावा हर ग़लत और काले काम करने वाला आदमी इसके चाल-चरित्र और धमक से वाक़िफ़ है।
कहा कि सवाल यह है कि जब इसने कोई सराहनीय कार्य किया ही नहीं, तो इन्हें किस “सराहनीय कार्य “के लिए पुलिस पदक से नवाज़े जाने के लिये चुना जा रहा है?
कहा कि क्या अब किसी वरिष्ठ अधिकारी के काले कारनामों में सहयोग देना और उनके गलत एवं ग़ैर क़ानूनी लूटपाट के कामों में हिस्सेदार बनना भी झारखंड सरकार में “सराहनीय सेवा” की श्रेणी में आ गया है?
कहा कि अगर यह ग़लती भी मुख्यमंत्री की ऑंख में धूल झोंककर करवाया जा रहा है तो क्यों न उनके संज्ञान में लाया जाए ।बाकी मुख्यमंत्री की मर्जी।
पद संरक्षण की मिसाल पेश कर रही हेमंत सरकार…..बाबूलाल मरांडी !
रांची :मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन के कार्यकाल में जिले का एसपी बदलने से बचाने के लिए पूरे आईपीएस...












