जमशेदपुर : जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और दामोदर बचाओ आंदोलन के प्रणेता सरयू राय ने कहा है कि फरवरी 2026 में दामोदर नद का फिर से अध्ययन किया जाएगा। इस अध्ययन में जर्मनी के पर्यावरणविद हस्को भी साथ में होंगे। उन्होंने दोहराया कि हमें नदी को गंदा करने से बचना चाहिए क्योंकि हर मानसून में नदी स्वयं को साफ कर लेती है।
यहां युगांतर भारती, नेचर फाउंडेशन और आईआईटी (आईएसएम) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित झारखंड के जंगल और उद्योगः संभावनाएं, संतुलन और सतत विकास पर एक दिवसीय संगोष्ठी और युगांतर भारती की वार्षिक आमसभा को बतौर अध्यक्ष संबोधित करते हुए सरयू राय ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत जितने भी कड़े कानून बनाए जा सकते थे, बनाए गए। अब इनसे ज्यादा कड़े कानून नहीं बनाए जा सकते। हम भारतीय लोगों ने तय कर लिया है कि चाहे कितने भी प्रावधान क्यों न बना दिये जाएं, वो उनका उल्लंघन करेंगे ही।
सरयू राय ने कहा कि विकास का कार्य करेंगे तो प्रकृति पर प्रतिकूल असर होगा, यह साबित हो चुका है। लेकिन, अगर हम लोग इसे नियंत्रित कर लेते हैं,जैसे 60-70 के दशक में अमरीका ने किया था, तो दिक्कत नहीं होगी। अमरीका में उन दिनों प्रदूषण एक बड़ी समस्या थी। लेकिन उसे नियंत्रित किया गया, उद्योग-धंधे भी चलाए गए।
उन्होंने कहा कि यह अफसोस की बात है कि झारखंड के किसी भी शहर में मानक के अनुरूप प्रदूषण मापने वाला कोई यंत्र नहीं लगाया गया है। किसी के पास मशीन नहीं है। कहीं लगा भी नहीं है। धनबाद में एक लगा भी था तो वह अब काम नहीं कर रहा है।
राय ने कहा कि हम लोग कानूनों का लगातार उल्लंघन करते हैं और बाद में रोना भी रोते हैं। जो एक्शन लेने वाली संस्थाएं हैं, वो एक्शन नहीं लेतीं। अगर कार्रवाई की जाए तो प्रदूषण करने वाले डरेंगे और प्रदूषण कम होगा।
सरयू राय ने कहा कि इस दौर में बड़े और मजबूत लोगों का नेक्सस बन गया है। ये कुछ होने नहीं देते। तू मेरी वाहवाही कर, मै तेरी वाहवाही करूं के सिद्धांत पर चीजें चल रही हैं। इसीलिए कोई एक्शन नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि केंदुआडीह में क्या हुआ? बीसीसीएल और स्थानीय प्रशासन को जो करना था इन लोगों ने नहीं किया। इसी का नतीजा है कि वहां नाइट्रोजन गैस नहीं डाला गया और फिर दबाव बढ़ने के कारण गैस धरती फाड़ कर निकली और फैल गई। अब पता चला है कि नाइट्रोजन गैस वहां डाला जा रहा है। अगर पहले ही डाल देते तो गैस लीक नहीं करती। चूंकि नियम-कानून की घोर उपेक्षा की गई, इसलिए ये सब हुआ।
सरयू राय ने कहा कि अब देखने में आता है कि सड़कें बन जाती हैं लेकिन जल प्रवाह का मूल रास्ता छोड़ा ही नहीं जाता। ऐसे में जल अपने लिए दूसरा रास्ता बना लेता है और सड़क की क्वालिटी पर नकारात्मक असर पड़ता है।
राय ने अपनी दुमका यात्रा को स्मरण करते हुए कहा कि दुमका को झारखंड की उप राजधानी माना जाता है। वहां बीच शहर में कूड़े का अंबार लगा है। कूड़े में आग लग जाती है। प्रदूषण फैलता है। इसके लिए जिम्मेदार कौन है? हम लोग अपना घर तो साफ कर लेते हैं लेकिन घर का कूड़ा-कचरा नाली में डाल देते हैं। ये हमारे संस्कार में आ गया है।
राय ने कहा कि सत्तातंत्र के नाक के नीचे बालू का कारोबार हो रहा है। बरसात से लेकर अब तक बालू की अवैध निकासी हो रही है। कोई कुछ बोलता नहीं। यह भी पर्यावरण पर प्रहार है।
उन्होंने कहा कि अब तो सरकार को जागरुक करना भी खतरनाक हो गया है। धारा 353 (सरकारी काम में बाधा) के तहत तत्काल प्राथमिकी दर्ज होती है। इसके बावजूद हम लोग जोखिम उठा कर काम कर रहे हैं क्योंकि सरकार को जगाना ही हम लोगों का काम है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने कहा कि इस साल हम लोगों ने 45 स्थानों पर दामोदर महोत्सव का आयोजन किया। स्वर्णरेखा महोत्सव का भी शानदार आयोजन हुआ। साल भर जन जागरूकता के कार्य किए गए। वर्ष 2026 में इन कार्यक्रमों को और शानदार तरीके से किया जाएगा।
शरण ने कहा कि दामोदर का पानी बीते कई सालों से लोग पी रहे हैं। पहले कई स्थानों पर दामोदर का पानी जानवर भी नहीं पीते थे। यह बड़ा बदलाव है कि अब दामोदर में फिर से छठ होने लगा है, लोग इसमें नहा भी रहे हैं, रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल भी कर रहे हैं।
डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि जंगल का इस्तेमाल संतुलित तरीके से हो। उद्योग भी संतुलित तरीके से लगे, तब ही फायदा है। झारखंड के जंगल ही जीवन का आधार हैं। इसका संतुलित इस्तेमाल जरूरी है। यहां स्मार्ट निवेश की सख्त जरूरत है।
डॉ. दीपक सिंह ने कहा कि झारखंड ही नहीं, देश भर की औद्योगिक नीति ऐसी बनी है कि सब फंसे हुए हैं। अब लोग तकनीकी से समाधान मांग रहे हैं। औद्योगिक प्रोसेस को अब बदलने की जरूरत है। नीति निर्धारण करने वालों को भी चीजों को नए सिरे से शोध करने की जरूरत है।
डॉ. गोपाल शर्मा ने कहा कि सरकार एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगा रही है लेकिन यह जहां लगाना है, वहां नहीं लगाया जा रहा। कई स्थानों पर यह उच्च स्थलों पर लगा दी जाती है जबकि इसे निचले स्थान पर लगाना चाहिए।
संजय रंजन सिंह ने कहा कि हमें अब ऊर्जा के नए विकल्पों के बारे में सोचना होगा। हमें हाइड्रोजन आधारित ऊर्जा के बारे में सोचना होगा। देखना होगा कि हम हाइड्रोजन ऊर्जा के रास्ते पर चल सकते हैं कि नहीं। हम न्यूक्लियर एनर्जी पर जा सकते हैं या नहीं। सोचना होगा क्योंकि समाधान यहां से ही होना है। कोई और नहीं करेगा। अपने बच्चों के भविष्य के लिए हमें ये करना होगा।
प्रो. अंशुमाली ने कहा कि हमें अब पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होना होगा। जंगल खत्म हो रहे हैं। छोटी नदियां मर रही हैं। जब नदियां मरेंगी तो इंसानियत पर खतरा होगा। धनबाद जैसा औद्योगिक रुप से समृद्द शहर आज पर्यावरण के मामले में कहां रह गया है, यह की बताने वाली बात नहीं है।
इस मौके पर दामोदर बचाओ आंदोलन, स्वर्णरेखा प्रदूषण मुक्ति अभियान जैसे संगठनों के लोगों ने भी बहुमूल्य विचार रखे जिनमें रामानुज शेखर, धर्मेंद्र तिवारी, सुरेन्द्र सिन्हा, प्रवीण सिंह, गोविंद पी मेवाड़, डॉक्टर संजय सिंह, समीर सिंह, अरुण राय, राधेश्याम अग्रवाल, देवेंद्र सिंह, श्रवण जी, भाई प्रमोद, ललित सिन्हा, पंचम चौधरी आदि प्रमुख थे।
आभार प्रदर्शन युगांतर भारती के कोषाध्यक्ष अशोक गोयल ने किया। मंच संचालन अमित सिंह ने किया।
ज्योति सिंह माथारू की अध्यक्षता में आज सिख समुदाय के साथ बैठक !
रांची :झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष ज्योति सिंह माथारू की अध्यक्षता में आज सिख समुदाय के साथ बैठक आयोग...











