पटना :बिहार की राजनीति में कुछ खास होने वाला है, बीजेपी जहां अपने सहयोगी घटक दलों को मनाने में जुटी है, वही पार्टी के अंदर भी कई नेता ऐसे है, जिन्हे नीतीश कुमार के साथ जाना उचित नहीं लग रहा है, सवाल है प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के पगड़ी का क्या होगा, उन्होंने कहा था की नीतीश कुमार को हटा कर ही पगड़ी खोलेंगे। कई केंद्रीय मंत्री भी इस बार नीतीश कुमार से गठबंधन के खिलाफ नजर आ रहे है, ये बात और है की बीजेपी के वर्तमान नेतृत्व के आगे किसी की हिम्मत नही की कुछ बोल सके। अब सवाल है नीतीश कुमार ने इस बार कौन सा पिच तैयार किया है, इसपर से पर्दा उठना अभी बाकी है, कई तरह के कयास लग रहे है, एक चर्चा है की मुख्यमंत्री विधानसभा भंग कर सकते है, एक चर्चा यह है की मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी में अपने मनमुताबिक नेता को सौप दे, तीसरी चर्चा है की खुद मुख्यमंत्री बने रहे। इधर लालू प्रसाद भी इसबार नीतीश कुमार को छोड़ने के मूड में नहीं है, खबर है की जदयू के कुछ विधायक लालू जी के संपर्क में है, संख्या बल की बात करे तो राजद के पास कुल 79 विधायक है, कांग्रेस के 19, वामदल के 16 और एमआईएम के 1 विधायक का समर्थन भी उन्हें प्राप्त है, ऐसे में लालू जी को मात्र 8 विधायक की जरूरत है, लालू जी ने अपने गुप्तचरों से जीतनराम मांझी के पुत्र संतोष मांझी को उपमुख्यमंत्री का ऑफर भिजबा चुके हैं विधानसभा अध्यक्ष भी राजद के ही है, अब देखना है की लालू कितना सफल हो पाते है जहां तक नीतीश कुमार की बात है तो उनके पास कुल 45 विधायक है, और 1 निर्दलीय सुमित सिंह का भी साथ नीतीश कुमार के साथ जा सकता है, जबकि भाजपा के 78 विधायक और मांझी जी के 4 विधायक को जोड़ दे तो ये आंकड़ा 128 तक पहुंच जाता है,बहरहाल बिहार की इस पलटिमार राजनीति में जनता पीस रही है, उसे समझ नही आ रहा किसे अच्छा कहे, किसे बुरा कहें, फिर पलटी होगी, लोकतंत्र के हनन की चर्चा होगी, जनमत के अपहरण की कहानी की जाएगी, एक बार फिर लोकतंत्र का चीरहरण होगा। हालाकि आसान नहीं होगी बीजेपी की इस प्लाटमार राजनीति की अगली कहानी, राम लला की प्राण प्रतिष्ठा, और कर्पूरी जी को भारत रत्न देने के बाद बीजेपी ने एक अच्छा खासा वोट बैंक बना लिया था, कार्यकर्ताओं का कहना है की इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के आगे सब बेबस हैं अंत में, सिर्फ नीतीश कुमार ही पलटिमर नही है, पलटू लालू भी है, पलटू बीजेपी भी है, चर्चा भले नीतीश की होती है, सब राजनीति है, कब कहा कौन पलटी मार दे अब तो बिहार की राजनीति में अब साधारण सी बात रह गई है .
इनपुट: पटना से वरीय पत्रकार मृत्युंजय कुमार












