रांची: तीन वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद झारखंड के नगर निकाय चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। राज्य कैबिनेट ने पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी, जो सुप्रीम कोर्ट की 50 प्रतिशत सीमा के अंतर्गत है। इससे चुनावी बाधा दूर हो गई है। झारखंड हाईकोर्ट ने देरी पर कड़ी नाराजगी जताते हुए 10 नवंबर को अगली सुनवाई तय की है, जहां चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो सकती है।
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अध्यक्ष जानकी यादव ने स्पष्ट किया कि चुनाव दिसंबर 2025 से जनवरी 2026 के बीच संपन्न कर लिए जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन कर रहा है। धनबाद, रांची, जमशेदपुर सहित कई जिलों में वार्ड-वार मतदान केंद्रों की सूची जारी हो चुकी है।
राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस गठबंधन शहरी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटा है, जबकि बीजेपी और आजसू घाटशिला उपचुनाव के नतीजों को आधार बनाकर रणनीति बना रहे हैं। कांग्रेस ने प्रदेश स्तर पर बैठकें शुरू कर दी हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ये चुनाव हेमंत सोरेन सरकार की लोकप्रियता का परीक्षण होंगे। स्थानीय मुद्दे जैसे स्वच्छता, जलापूर्ति, सड़क और स्ट्रीट लाइट पर जनता का फैसला होगा। पूर्व पार्षदों की अवमानना याचिकाओं पर कोर्ट सख्त है। कुल मिलाकर, झारखंड के शहरी मतदाता जल्द ही नई स्थानीय सरकार चुनेंगे।
अवैध खनन सिंडिकेट के दबाव में नो इंट्री लागू नहीं कर रही हेमंत सरकार…..बाबूलाल मरांडी !
चाईबासा :भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने बीती रात चाईबासा में नो इंट्री की मांग को लेकर...












