चतरा : जिले में कानून व्यवस्था की तस्वीर लगातार धुंधली होती जा रही है। बीती रात हुई दो बड़ी घटनाओं ने यह साफ कर दिया कि अपराधियों का मनोबल ऊंचा है और पुलिस की पकड़ कमजोर। एक तरफ कुंदा थाना क्षेत्र में गोलीबारी में दो लोगों की जान चली गई, तो दूसरी ओर गिद्धौर में नकाबपोश अपराधियों ने पेट्रोल पंप से तीन लाख रुपये लूट लिए। दोनों घटनाएं एक ही रात की हैं और दोनों ही पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
कुंदा में गोलियों की गूंज
कुंदा थाना क्षेत्र के ग्राम गेंद्रा में देर रात जो हुआ, उसने पूरे इलाके को दहला दिया। टीएसपीसी संगठन से जुड़े दो गुटों के बीच आपसी विवाद ने अचानक हिंसक रूप ले लिया। गोलियां चलीं, लोग लहूलुहान हुए और देखते ही देखते दो लोगों की मौके पर मौत हो गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में लंबे समय से आपराधिक गतिविधियां चल रही थीं, लेकिन पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। घटना के बाद पुलिस जरूर मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था। सवाल यह है कि जिन लोगों पर दर्जनों मामले दर्ज हैं, वे खुलेआम गांव में कैसे घूम रहे थे।
पुराने अपराधी, नई वारदात
सूत्र बताते हैं कि इस गोलीकांड में शामिल लोग पहले से ही पुलिस और जांच एजेंसियों के रडार पर थे। इसके बावजूद उनकी गतिविधियों पर न तो निगरानी दिखी और न ही कोई ठोस रोकथाम। यही लापरवाही आखिरकार दो जिंदगियों की कीमत बन गई। घायलों को इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भेजा गया। बेहतर इलाज के लिए उन्हें रिम्स रांची रेफर किया गया, लेकिन गांव में आज भी डर और सन्नाटा पसरा हुआ है।
गिद्धौर में लूट, अपराधियों का दुस्साहस
उधर गिद्धौर थाना क्षेत्र में अपराधियों ने पुलिस को खुली चुनौती दी। आधी रात के बाद चतरा-इटखोरी मुख्य पथ पर स्थित इंदु फ्यूल पेट्रोल पंप पर नकाबपोश बदमाश पहुंचे। कर्मियों को बंधक बनाया गया, बेरहमी से पीटा गया और फिर तीन लाख रुपये लेकर आराम से फरार हो गए। यह वारदात किसी सुनसान इलाके में नहीं, बल्कि मुख्य सड़क पर स्थित पेट्रोल पंप पर हुई। इससे यह सवाल उठता है कि रात में गश्त और निगरानी की व्यवस्था आखिर कहां थी।
डर के साये में आम लोग
इन घटनाओं के बाद जिले में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों और व्यवसायियों का कहना है कि अब रात में घर से निकलना या दुकान खोलना जोखिम भरा हो गया है। लोग पूछ रहे हैं कि अगर पेट्रोल पंप जैसे स्थान भी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम आदमी कहां जाए।
आदेश ऊपर से, नीचे अमल नहीं
घटना के बाद बोकारो आईजी सुनील भास्कर ने जरूर सख्त निर्देश दिए हैं और आरोपियों की गिरफ्तारी की बात कही जा रही है। लेकिन चतरा के लोग अब सिर्फ निर्देशों से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि हर बड़ी घटना के बाद आदेश आते हैं, जांच बैठती है, लेकिन कुछ दिनों बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।
पुलिस के सामने भरोसे की चुनौती
चतरा पुलिस के सामने अब सिर्फ अपराधियों को पकड़ने की नहीं, बल्कि जनता का भरोसा वापस जीतने की भी बड़ी चुनौती है। सवाल सीधा है, क्या पुलिस अपराध होने के बाद ही सक्रिय रहेगी, या समय रहते हालात को संभालने की ठोस पहल भी करेगी। जिले की जनता अब जवाब चाहती है, सिर्फ बयान नहीं।
कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के जिला अध्यक्षों और कार्यकारिणी की बैठक !
रांची : झारखंड प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के जिला अध्यक्षों और कार्यकारिणी की बैठक आज कांग्रेस भवन स्थित लंबोदर...









